देहरादून। राज्य सरकार ने नई आवास नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसका उद्देश्य आवास आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। इस नीति के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आवास आवंटन के नियमों को सख्त किया गया है और साथ ही आवंटित आवासों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं।
महिलाओं को मिलेगा प्राथमिकता: नई नीति के अनुसार, जहाँ तक संभव हो, आवास आवंटन परिवार की महिला सदस्य के नाम पर किया जाएगा। यह कदम महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आवास का दुरुपयोग रोकने के उपाय:
* तीन महीने में कब्जा: लाभार्थी को आवास आवंटन के तीन महीने के भीतर आवास में प्रवेश करना होगा। यदि लाभार्थी निर्धारित समय सीमा के भीतर आवास में प्रवेश नहीं करता है, तो उसका आवंटन रद्द कर दिया जाएगा और आवास प्रतीक्षा सूची में अगले पात्र व्यक्ति को आवंटित कर दिया जाएगा।
* पांच साल तक विक्रय प्रतिबंध: लाभार्थी विक्रय अनुबंध की तिथि से अगले पांच वर्षों तक आवंटित आवास को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बेच सकता है। यदि कोई लाभार्थी इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसका आवंटन रद्द कर दिया जाएगा और आवास को नीलाम कर दिया जाएगा। नीलामी से प्राप्त राशि में से सभी देनदारियां चुकाने के बाद शेष राशि पूर्व लाभार्थी को दे दी जाएगी।
* बैंक लोन अनिवार्य: लाभार्थी को विकासकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए सुगम लोन के माध्यम से अपना हिस्सा जमा करना होगा। यदि लाभार्थी बैंक लोन जमा नहीं कर पाता है, तो आवास को नीलाम किया जा सकता है।
आवास योजना में पारदर्शिता:
नई आवास नीति में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। सभी लाभार्थियों को आवासीय योजना की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का सदस्य होना अनिवार्य होगा। इससे आवास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
नीति का उद्देश्य:
इस नई आवास नीति का उद्देश्य आवास आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। साथ ही, यह नीति आवासों का दुरुपयोग रोकने और गरीबों को सस्ते आवास उपलब्ध कराने में भी मदद करेगी।