हरिद्वार। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक एवं जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि श्रीराम कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति की बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। भारतमाता पुरम स्थित शाश्वतम आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा ज्ञान का भंडार है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। वास्तव में हर किसी को कथा के दर्शन नहीं होते। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जिस जगह श्रीराम कथा का आयोजन होता है वहां प्रभु श्री हनुमान स्वयं विराजमान होकर भक्तों को कृतार्थ करते हैं। वास्तव में प्रभु श्रीराम का जीवन चरित्र हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। और हमें यह प्रेरणा मिलती है कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो हमें अपनी बुद्धि और विवेक के माध्यम से सत्य के मार्ग पर चलते हुए जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहना है। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक डॉ जितेन्द्र सिंह राष्ट्रीय संयोजक शाश्वतम् फाउंडेशन, जगपाल सिंह लखनऊ गंगा समग्र, आचार्य डॉ चंद्रभूषण कथावाचक, बेगराज सिंह एडवोकेट, अनिल गुप्ता जिला व्यवस्था प्रमुख, सुरेश रामवन एवं राकेश मारीशस,अमित सैनी संस्थापक एस के सैनी आस्था फाउंडेशन, सुदेश सैनी, विश्वास सक्सेना, नवनीत कंसल, शिवकुमार मौर्या, डॉ जे पी मल, निरंजन अग्रवाल,मोहन सिंह, संजीव सिंह,राज आनंद सिंह, डॉ एस के कुलश्रेष्ठ, सतीश कौशिक, अमित निरंजन, रमेश उपाध्याय प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीराम कथा: स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती
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