कहा, मजदूरों को जीवन रक्षक सामान मिल रहा है ? 2 दिसम्बर तक न्यायालय में पेश करें रिपोर्ट
(कमल जगाती)
नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी के सिलक्यारी टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया है कि क्या टनल में फंसे 41 मजदूर शुरक्षित हैं। क्या उनको नियमित जीवन रक्षक सामान मिल रहा है ? इसकी जानकारी 2 दिसम्बर तक न्यायालय में पेश करें।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि सभी 41 मजदूरों को जीवन रक्षक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिसकी मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और केंद्रीय परिवहन मंत्री कर रहे हैं। कहा गया है कि सरकार इन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए फैक्ट्री से बड़े पाइप मंगा दिए हैं।
पूर्व में न्यायालय ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार से 48 घण्टे के भीतर प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा था। आज सरकार के श्रमिकों को बचाने के लिए किए गए प्रयासों को सुनकर न्यायालय संतुस्ट हुई। मामले की अगली सुनवाई 2 दिसम्बर को होगी। देहरादून के समाधान एन.जी.ओ.ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में पिछले 12 नवम्बर से 40 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हुए हैं। लेकिन सरकार उनको अभी तक बाहर निकालने में सफल नहीं हुई है। सरकार और कार्यदायी संस्था टनल में फंसे लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं। हर दिन उनको निकालने के लिए नए नए निष्प्रभावी तरीके खोजे जा रहे हैं। जिन लोगों की वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है उनपर आपराधिक मुदकमा दर्ज किया जाय। पूरे प्रकरण की जाँच एस.आई.टी.से कराई जाय। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि टनल के अंदर काम शुरू करने से पहले मजदूरों को रैस्क्यू पाइप, जनरेटर, मशीनरी समेत अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाय। टनल के निर्माण के वक्त इस क्षेत्र की भूगर्भीय जांच भी ढंग से नही की गई, जिसकी वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है।
हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा सिलक्यारी टनल में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित हैं?
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