सड़क काटने से नौले हो गये हैं बंद, मलवे में दबे 8 से10 हजार पौधे: मोहन चंद्र कांडपाल
द्वाराहाट (अल्मोड़ा)। विश्व पर्यावरण दिवस पर ग्राम कांडे बिठोली में सड़क कटान के कारण तीन जलस्रोत (नौले) बंद हो जाने से ग्रामीणों को पानी की दिक्कत हो रही थी ये वो नौले थे जिन से लगभग 500 वर्ष से हमारे पूर्वज अपनी पानी की पूर्ति कर रहे थे लेकिन सड़क काटकर मलवा वही डाल देने से वह नौले बंद हो गये। लोक निर्माण विभाग व सड़क कटान के ठेकेदार महोदय से बार बार निवेदन करने के उपरांत दोनों नौले कि कुछ सफाई कर खानापूर्ति की गई लेकिन उसके ऊपर का मलवा बारिश होते ही पुनः उन्हीं नौलों में आ जाना था इसलिए ग्रामीणों ने विश्व पर्यावरण दिवस को 3 घंटे का सांकेतिक धरना व उसके बाद एक नौले की सफाई करके मनाया। इस धरने के माध्यम से गांव की जनता ने संदेश दिया कि विकास के साथ विनाश ना किया जाए । सड़क सब की आवश्यकता है लेकिन उसके निर्माण करते वक्त पेड़ों व जल का भी ध्यान दिया जाए उसका भी संरक्षण किया जाए। सड़क कटान के दौरान मलवा वही डाल देने से लगभग छोटे-बड़े 8 से 10000 पौधे भी उस मलबे में दब गए । जबकि मलवा वहां डालने का नियम नहीं है सड़क कटान के बाद मलबे को कहीं एक जगह ट्रकों के माध्यम से एकत्रित कर किया जाना चाहिए जिसके लिए पूर्व से ही सरकार द्वारा पैसे का प्रावधान किया जाता है।यदि इस प्रकार का विकास होगा तो निश्चित ही हम पर्यावरण संरक्षण को नहीं विनाश को आमंत्रित कर रहे हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री महोदय वृक्ष लगाओ तथा जल बचाओ का संदेश दे रहे हैं दूसरी तरफ लापरवाही कर हम सब लोग ऐसा विकास कर रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। एक तरफ हम एक पेड़ लगा कर विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं दूसरी तरफ सरकारी नियम कानूनों की अनदेखी की जा रही है। हम थोड़े से आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण का विनाश कर रहे हैं यदि इसी प्रकार विकास चलता रहा तो निश्चित ही ना तो पानी बचेगा और ना ही पेड़ बचेंगे। जिससे जलवायु परिवर्तन होगा फिर हम अपने भविष्य को अंधकार में डालेंगे इसलिए पर्यावरण प्रेमियों को सजग रहना चाहिए कि कहीं सरकार की बनाए गए नियम कानूनों के बावजूद ठेकेदार तथा सरकारी अधिकारियों द्वारा लापरवाही कर हमारे एक पेड़ लगाने की जगह वो लाखों पेड़ों का नुकसान तो नहीं कर रहे हैं। यदि हमने वो बचा लिए तो पहले से ही जो हमारा शुद्ध पर्यावरण है वह बचा रहेगा। इसलिए हमें पेड़ लगाने के साथ-साथ पूर्व से लगे पेड़ों को बचाने हेतु भी ग्रामीणों को जागरूक करना चाहिए।
धरने में प्रियांशु कांडपाल, कैलाश चंद्र, भगवती देवी जानकी देवी, मुन्नी देवी, चंपा देवी, सरोजनी देवी, इंद्रा देवी, कमला देवी गीता देवी, आशा, गंगा, बीना देवी, हेमा, तनुजा आदि मौजूद रहे ।