उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने जोशीमठ त्रासदी को मानवीयकृत बताया, हुई बैठक
अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने जोशीमठ त्रासदी को लेकर एक बैठक की। बैठक में वक्ताओं ने जोशमठ आपदा को मानवीयकृत बताते हुए कहा कि उत्तराखण्ड एक नया प्रदेश तो बन गया पर नीतियाँ दिल्ली-देहरादून से ही बनती रही। जिसका परिणाम आज जोशीमठ की जनता भुगत रही है।
पहाड़ का निवासी अब इन पहाड़ों को सरकारी नीतियों व योजनाकारों की बदनीयति के कारण छोड़ने को मजबूर है।
उलोवा नेता जगत रौतेला ने कहा कि 2010-11 में वाहिनी ने रस्यूना गाँव के लोगों की एक छोटी विद्युत कम्पनी बनाई थी। जिसे सरकार से मंजूरी नहीं मिली। यदि ऐसी यूजर्स कंपनियों को सरकार अमल में लाती तो पहाड़ से पलायन तो रुकता ही, साथ ही पहाड़ों की आर्थिकी भी बढ़ती और पहाड़ भी सुरक्षित रहते।
उलोवा ने जोशीमठ के घटनाक्रम को, जमीन के भीतर हो रही हलचल को बताया. उलोवा नेताओं ने जोशीमठ के लोगों की सरकार से पुनर्वास की मांग भी की है।
बैठक की अध्यक्षता एडवोकेट जगत रौतेला और संचालन पूरन चंद्र तिवारी ने किया। बैठक में दयाकृष्ण कांडपाल, रेवती बिष्ट, अजय मेहता, अजय मित्र बिष्ट, कुणाल तिवारी, बिशन दत्त जोशी आदि लोग मौजूद थे।
दिल्ली-देहरादून में बैठकर बनाई नीतियों का खामियाजा भुगत रही जोशीमठ की जनता
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