देहरादून: उत्तराखंड में हेली एंबुलेंस सेवा का दायरा बढ़ाने जा रहा है। अब तक इस सेवा का उपयोग मुख्यतः दूरस्थ क्षेत्रों से मरीजों को ऋषिकेश एम्स लाने के लिए किया जाता था। लेकिन अब शासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हेली एंबुलेंस सेवा के माध्यम से अस्पतालों से शवों को उनके निवास स्थान तक पहुंचाने की सुविधा शुरू करने का फैसला किया है।
मानक प्रचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिए कमेटी का गठन
इस सेवा को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए शासन ने एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का नेतृत्व चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की निदेशक डॉ. सुनीता टाम्टा करेंगी। कमेटी के अन्य सदस्य चिकित्सा शिक्षा के निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना और संयुक्त निदेशक डॉ. अजीत जौहरी हैं। यह कमेटी इस सेवा के लिए एक विस्तृत मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगी।
कमेटी का काम
यह कमेटी इस सेवा से जुड़े सभी पहलुओं का गहन अध्ययन करेगी। इसमें यह भी देखा जाएगा कि इस सेवा को लागू करने में क्या-क्या चुनौतियां आ सकती हैं। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही इस सेवा को अंतिम रूप दिया जाएगा।
प्रदेश में पहली बार
यह पहली बार है जब उत्तराखंड में इस तरह की सेवा शुरू की जा रही है। इससे प्रदेश के लोगों को काफी राहत मिलेगी। अब उन्हें अपने प्रियजनों के शव को उनके निवास स्थान तक लाने के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा।
सेवा के फायदे
* समय की बचत: हेली एंबुलेंस सेवा से शवों को उनके निवास स्थान तक पहुंचाने में कम समय लगेगा।
* सुविधा: लोगों को शव को ले जाने के लिए अन्य साधनों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।
* दूरदराज के क्षेत्रों में भी सुविधा: इस सेवा से दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा।