रुद्रप्रयाग: तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए आगामी चार नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। इस वर्ष भगवान तुंगनाथ की यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी और अब तक 1.20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि चार नवंबर को कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करेगी। डोली रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। पांच नवंबर को डोली चोपता से भनकुन गुफा पहुंचेगी। इसके बाद सात नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी। यहां पर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद भगवान की भोगमूर्तियों को छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए मर्कटेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर दिया जाएगा।
तुंगनाथ यात्रा का समापन
तुंगनाथ यात्रा हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस वर्ष भी भक्तों ने भारी संख्या में मंदिर में दर्शन किए। शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है, इसलिए हर साल शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
मक्कूमठ में छह माह तक रहेगी डोली
भगवान तुंगनाथ की डोली अगले छह महीने तक मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में रहेगी। यहां पर स्थानीय पुजारियों द्वारा नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाएगी। अगले वर्ष जब मौसम अनुकूल होगा, तब डोली को वापस तुंगनाथ मंदिर ले जाया जाएगा और मंदिर के कपाट फिर से खोले जाएंगे।
तुंगनाथ मंदिर का महत्व
तुंगनाथ मंदिर पांच केदारों में से एक है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां से हिमालय की मनमोहक वादियां देखी जा सकती हैं।
तुंगनाथ मंदिर के कपाट चार नवंबर को बंद, डोली मक्कूमठ के लिए रवाना
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