उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: पीपीपी मोड से हटेंगे 9 अस्पताल, दिसंबर तक अपने नियंत्रण में लेगी सरकार

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने विश्व बैंक द्वारा पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पीपीपी मोड (लोक निजी सहभागिता) में संचालित सभी नौ चिकित्सा इकाइयों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
क्यों लिया गया ये फैसला?
पीपीपी मोड में संचालित इन अस्पतालों को लेकर स्थानीय लोगों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं। लोगों को इन अस्पतालों में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं से संतुष्ट नहीं थे। इसीलिए सरकार ने इन अस्पतालों को वापस लेकर स्वयं संचालित करने का निर्णय लिया है।
कौन-कौन से अस्पताल होंगे सरकार के नियंत्रण में?
सरकार जिला चिकित्सालय बौराड़ी, बिलकेश्वर और देवप्रयाग को पहले ही अपने नियंत्रण में ले चुकी है। अब जिला चिकित्सालय पौड़ी, संयुक्त चिकित्सालय पाबौं, घिण्डियाल, रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय रामनगर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भिकियासैंण और बीरोंखाल को भी पीपीपी मोड से हटाकर सरकार अपने नियंत्रण में लेगी।
कब तक सरकार लेगी इन अस्पतालों को अपने नियंत्रण में?
सरकार ने इन सभी अस्पतालों को दिसंबर महीने तक अपने नियंत्रण में लेने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।
क्या होगा इन अस्पतालों में उपलब्ध उपकरणों का?
पीपीपी मोड में संचालित इन अस्पतालों में जो भी चिकित्सकीय उपकरण और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध है, उसे इन अस्पतालों में ही रखा जाएगा। इसकी एक सूची तैयार की जा रही है।
क्या होगा इन अस्पतालों में स्टाफ का?
सरकार इन अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती करेगी। इसके लिए भी विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। पीपीपी मोड में संचालित इन अस्पतालों को वापस लेकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्थानीय लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलें।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला उत्तराखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी और उन्हें दूर-दराज के अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं होगी।
इस फैसले का क्या असर होगा?
इस फैसले से उत्तराखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार होगा। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी।

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