देहरादून: उत्तराखंड में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। परिवहन विभाग ने सड़क हादसों के लिए संवेदनशील स्थानों को चिन्हित करने और उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है।
सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) को निर्देश दिए गए हैं कि वे फरवरी के दूसरे सप्ताह तक सभी सड़कों का सर्वेक्षण करें और 28 फरवरी तक संवेदनशील स्थानों की सूची मुख्यालय को भेजें। इन स्थानों पर चारधाम यात्रा से पहले सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगे।
किन स्थानों को चिह्नित किया जाएगा?
- खाई वाले स्थान: जिन सड़कों की एक दिशा में 10 मीटर या इससे अधिक गहरी खाई हो और जहां रेलिंग, क्रैश बैरियर या पैराफिट न लगाए गए हों।
- संकरी सड़कें: कम चौड़ाई वाली संकरी सड़कें, भूस्खलन प्रभावित सड़कें और जहां पत्थर गिरने का खतरा रहता है।
- घुमावदार मार्ग: ऐसे घुमावदार मार्ग जहां पैराफिट और क्रैश बैरियर न लगे हों। सड़क पर तीखे और अंधे मोड़ हों। वहां पर रिफ्लेक्टर, सेवरॉन बोर्ड, रोड साइन न लगे हों।
- तीव्र ढाल वाले स्थान: तीव्र ढाल वाले स्थान, जहां पर कोई सूचना संकेत या रफ्तार कम करने के इंतजाम न हों। जिन पुलों पर दोनों ओर रेलिंग, पैराफिट न हों।
- वन्यजीव बहुल क्षेत्र: वन्यजीव बहुल क्षेत्रों से गुजरने वाले ऐसे सभी मार्ग, जहां पर सूचना देने वाले होर्डिंग न लगे हों।
- क्रॉसिंग, रिहायशी इलाके: ऐसे क्रॉसिंग, रिहायशी इलाके, बस स्टॉप, टोल प्लाजा आदि स्थान जहां पर रात के समय रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था न हो। बिजली के खंबे, होर्डिंग आदि सुरक्षित तरीके से न लगे हों।
क्यों जरूरी है यह कदम?
राज्य में हाल के समय में सड़क हादसों में वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परिवहन विभाग को हादसों के कारणों का पता लगाकर ठोस सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। इसी के तहत यह अभियान शुरू किया गया है।
क्या होगा आगे?
सभी आरटीओ द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर परिवहन विभाग संवेदनशील स्थानों पर आवश्यक सुरक्षा उपाय करेगा। इनमें रेलिंग, क्रैश बैरियर, पैराफिट, रिफ्लेक्टर, सेवरॉन बोर्ड, रोड साइन, रोशनी आदि लगाना शामिल हो सकता है।
यह पहला मौका है जब परिवहन विभाग सड़कों पर बारीकी से हादसों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित करने जा रहा है। इस कदम से राज्य में सड़क हादसों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है।