देहरादून: उत्तराखंड में डीजीपी पद को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। शासन के आदेश पर एडीजी दीपक सेठ को प्रतिनियुक्ति बीच में छोड़कर उत्तराखंड वापस बुला लिया गया है। जनवरी में डीजी पद पर पदोन्नति होने के बाद सेठ वरिष्ठता के लिहाज से सबसे आगे हैं।
पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में डीजीपी पद को लेकर काफी अस्थिरता देखने को मिल रही है। केंद्र सरकार ने उन राज्यों के लिए नियमों में ढील दी थी जहां डीजी रैंक के अधिकारी नहीं हैं। उत्तराखंड में भी इसी आधार पर कई बार डीजीपी के चयन की कोशिश की गई, लेकिन हर बार कोई न कोई अड़चन आती रही।
दीपक सेठ की वापसी से नई उम्मीदें:
दीपक सेठ की वापसी से उत्तराखंड में डीजीपी पद के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो गई है। सेठ की वरिष्ठता और अनुभव को देखते हुए उनका नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
अभिनव कुमार की पैरवी:
वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने भी डीजीपी पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। उन्होंने गृह सचिव को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश की तर्ज पर डीजीपी नियुक्त करने की सिफारिश की है। उन्होंने यूपीएससी की दखल को गैर जरूरी बताया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
कई राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी की व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार जल्द से जल्द स्थायी डीजीपी की नियुक्ति करना चाहेगी।
अगले कदम:
अब देखना होगा कि उत्तराखंड सरकार इस मामले में क्या फैसला लेती है। दीपक सेठ या अभिनव कुमार में से कौन डीजीपी बनेगा, यह आने वाले समय में ही पता चल पाएगा।