हरिद्वार

100 प्रतिशत मतदान कराकर नव इतिहास बनाएंगे

नव संवत्सर पर ‘परिक्रमा’ की कवि गोष्ठी आयोजित, नव मतदाताओं को किया प्रेरित
हरिद्वार।
परिक्रमा साहित्यिक मंच ने नवसंवत्सर के अवसर पर बी.एच.ई.एल. के सेक्टर पाँच स्थित जूनियर इंजीनियर आफीसर्स एसोसिएशन के कार्यालय में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। देर शाम तक चली इस गोष्ठी में हरिद्वार के लब्ध कवियों व साहित्यकारों के अलावा अनेक युवा कवियों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करके, श्रोताओं‌ को मंत्रमुग्ध किया।
      गोष्ठी का आरम्भ माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन व पुष्पार्पण के उपरान्त राजकुमारी ‘राजेश्वरी’ की वाणी वंदना के साथ हुआ। इसके बाद आमंत्रित कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से नवसंवत्सर का अभिनन्दन किया, तो आसन्न लोकसभा चुनाव का परिदृश्य भी उनकी कवितों में ख़ूब छलका। वरिष्ठ कवि कुंअर पाल सिंह ‘धवल’ ने ‘साल नया बहु भाँति हो कवियों के अनुकूल, बाधाओं से दूर हों, मिटे हृदय के शूल’, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’ ने ‘भक्ति भावना में रहे शक्ति की अनुभूति, निश्चय ही बनि जायेगा, महा ईश अनुभूति’ से तथा डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ ने ‘प्राणी सदा फूलें-फलें, सबका प्रवर आदर्श हो, देता मुबारकबाद मैं, शुभ प्रेममय नववर्ष हो’ के साथ नवसंवत्सर के लिये मंगलकामनाएं कीं।‌ सुरेन्द्र कुमार ‘सत्य पथिक’ ने ‘चिड़ियों‌ का कलरव नया नया सा हो, हर दिन का सूरज नया नया सा हो’ से माहौल में विश्वास का रंग भरा।
      कवि एवं चेतना पथ के संपादक अरुण कुमार पाठक ने अबकी हम सब मिल जुल करके वोट डालने जायेंगे, सौ प्रतिशत मतदान करा कर नव इतिहास इतिहास बनाएंगे’ के साथ आसन्न लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र नव मतदाताओं‌ को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करने हेतु प्रेरित किया। पारिजात साहित्यिक मंच के अध्यक्ष व वरिष्ठ कवि सुभाष मलिक‌ ने वर्तमान चुनाव परिदृश्य पर हास्य ‘लूट में सबकी हिस्सेदारी, नैया डूबी जाये हमारी’ प्रस्तुत किया। महेन्द्र कुमार ने ‘पांच वर्ष में आ गया, लोकतन्त्र का पर्व,‌‌ नेताजी इठला रहे, चमचे करते गर्व’ के साथ वर्तमान चुनावी माहौल पर तंज कसे।
       कवियत्री व प्रेरकवक्ता श्रीमती कंचन प्रभा गौतम ने ‘अलसाई सी आँखें, न हँसी लबों‌ पर अब कोई, भीतर इक बेचैनी सी है, जाने कहाँ रहती खोई’ सुना कर अपना अध्यात्मिक आत्मचिंतन प्रस्तुत किया, तो गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठतम कवि पं. ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ ने ‘उज्जवल हो मन भावना, नियमित हो सत्संग, खुले मुक्ति का द्वार तब, चढ़े भक्ति का रंग’ के साथ श्रोताओं में भक्ति भाव भरे तथा साथ ही गोष्ठी में प्रस्तुत की गयी रचनाओं की समीक्षा भी की। राजकुमारी ने ‘आग है हवा है पानी है मुझमें, अब तो मानो कि खुदा है मुझमें’ के साथ पंच महाभूतों‌ का महिमा मंडन किया। डा. कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी’ ने ‘ना मैं‌ इनकार करती हूँ, ना मैं इज़हार करती हूँ’ और नवोदित युवा कवियत्री आशा साहनी ने आशा साहनी ने ‘भावनाएँ मैं‌ लिखी और तुम‌ कहे कि छंद है, भाव से सबका जुड़ा, भाव का अनुबन्ध है’ कह कर अपने  मनोभाव प्रकट किये। बिजनौर से पधारे कवि कर्मवीर सिंह ने भी अपना काव्य पाठ किया। गोष्ठी के अन्त में ‘परिक्रमा’ की उपाध्यक्ष श्रीमती नीता नय्यर ‘निष्ठा’ के पति सुमन कुमार नय्यर तथा सचिव श्री शशि रंजन चौधरी ‘समदर्शी’ की माताजी के निधन पर उन्हें मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गयी।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

CWN उत्तराखंड समेत देश और दुनिया भर के नवीनतम समाचारों का डिजिटल माध्यम है। अपने विचार या समाचार प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क करें। धन्यवाद

[email protected]

संपर्क करें –

ईमेल: [email protected]

Select Language

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860

To Top
English हिन्दी