हरिद्वार

वर्षों के बाद बना, गुप्त नवरात्रि के साथ अंबुवाची मेला का दुर्लभ संयोग: आलोक  गिरी

कामाख्या मंदिर में 22 जून से 26 जून तक होगा अंबुवाची मेला का आयोजन, 25 जून से होगा, भक्तों को  दर्शन लाभ

हरिद्वार। श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रि के साथ मां कामाख्या मंदिर का अंबुवाची मेला का दुर्लभ संयोग कई वर्षों के उपरांत बना है। अंबुवाची मेला 22 जून से शुरू होकर 26 जून तक चलेगा। शुरूआती तीन दिनों तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। 25 जून से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
श्री बालाजी धाम सिद्ध हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, जगजीतपुर के प्रबंधक महंत आलोक गिरी महाराज ने कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ के महीने में पड़ती है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है, जो कि 28 जून को समाप्त होगी।  गुवाहटी में मौजूद कामाख्या मंदिर में अम्बुबाची मेले का आयोजन गुप्त नवरात्रि के दुर्लभ संयोग में हो रहा है। देशभर से श्रद्धालु, साधु-संत और तांत्रिक मंदिर पहुंच रहे हैं।  उन्होंने कहा कि इस वर्ष अंबुबाची मेला 22 जून बुधवार से 26 जून रविवार तक चलेगा। मंदिर के दरवाजे 22 जून को बंद कर दिए जाएंगे और 25 जून की सुबह को खोल दिए जाएंगे। 25 जून को देवी की पूजा स्नान के बाद ही कपाट खुलेंगे। इसके बाद भक्तों में प्रसाद बांटा जाएगा। अंबुबाची मेला को अमेती या तांत्रिक प्रजनन उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। मां की पूजा करने के लिए देश भर के तांत्रिक भारी संख्या में यहां इकट्ठा होते हैं। अंबुबाची का अर्थ है पानी से बोली जाने वाली। इस शब्द का अर्थ ये भी है कि मानसून के महीनों में बारिश पृथ्वी को उपजाऊ करने के लिए तैयार करती है। अम्बुबाची मेला में मां कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म चक्र का जश्न मनाया जाता है। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि अंबुबाची मेले के दौरान कामाख्या मंदिर तीन दिनों के लिए बंद रहता है। इन तीन दिनों के दौरान, भक्तों के लिए कुछ प्रतिबंध रहते हैं, जिसमें कोई भी भक्त पवित्र ग्रंथ नहीं पढ़ेगा, पूजा नहीं करेगा, खाना नहीं बनाएगा जैसी चीजें शामिल हैं। इस तरह की चीजें वैसी ही हैं, जैसी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा देखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिनों के बाद, मंदिर के दरवाजे फिर से खुल जाते हैं, और भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। भक्त फिर देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं, और उनके बीच प्रसाद वितरित किया जाता है।
स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि खास होती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है।  इसके अलावा इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बजे तक है। इस मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।  स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि
भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शुमार है। कामाख्या देवी मां दुर्गा के रूप में मानी जाती हैं। मान्यता है कि यहां पर माता सती की योनि गिरी थी, इसलिए इस जगह को 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख स्थलों में गिना जाता है।
आलोक गिरी महाराज के साथ दिगंबर खुशहाल भारती, रामकुमार गिरी, मधुबन, रघुनाथ गिरी, माई महाराज, स्वामी आत्मानंद भारती, हिमांशु बंसल, नित्यानंद गिरीश ज्वाला गिरी, थानापति गोविंद गिरी, आनंद गिरी, गौतम शर्मा, हेमंत शर्मा, बाबा कुमार गिरी मधुबाला राव,  सिंगर राजस्थान, चिराग, बाबू गिरी राष्ट्रीय सेना महाकाल सहित अन्य गणमान्य संत मां कामाख्या देवी के दर्शन हेतु पहूंची है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

CWN उत्तराखंड समेत देश और दुनिया भर के नवीनतम समाचारों का डिजिटल माध्यम है। अपने विचार या समाचार प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क करें। धन्यवाद

[email protected]

संपर्क करें –

ईमेल: [email protected]

Select Language

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860

To Top
English हिन्दी