चार विक्रम के बदले एक बस पर सब्सिडी, एक वर्ष तक ही मिलेगा लाभ
देहरादून। प्रदेश के शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने, आमजन को सुविधा और आरामदायक सफर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से लाई गई उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024 को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर हाईपावर कमेटी का गठन किया गया है।
परिवहन सचिव अरविंद सिंह हयांकी की ओर से शुक्रवार को जारी शासनादेश में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय हाईपावर कमेटी बनाई गई है, जो नीति निर्धारण व इसकी निगरानी का कार्य करेगी।
वहीं, परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई दूसरी कमेटी नीति के क्रियान्वयन का कार्य करेगी। उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024 के अनुसार वर्ष 2027 तक प्रदेश के सभी शहरों से पुराने डीजल चालित व प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलन से बाहर कर दिया जाएगा।
यूनीफाइड मेट्रोपालिटन ट्रांसपोर्ट अथारिटी (यूएमटीए) के अंतर्गत राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी शहरों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए एक वर्ष पहले से तैयारी आरंभ कर दी थी। इसके अंतर्गत सबसे पहले शहरों में दौड़ रही डीजल चालित सिटी बसों व विक्रमों को बाहर करने की तैयारी है। डीजल बस के स्थान पर शहरों में सीएनजी चालित या इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी।
इसके लिए शहरों में सिटी ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन गठित किया जाएगा, जो परिवहन निगम के अधीन रहेगा। सरकार ने पुराने व्यावसायिक डीजल वाहन को स्क्रैप कराने व नए वाहन की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम 15 लाख) रुपये देने का निर्णय लिया है।
यही नहीं, अगर कोई व्यावसायिक वाहन संचालक अपना वाहन स्क्रैप नहीं कराता और उसे दूसरे प्रदेश में एनओसी देते हुए संचालित करता है तो उसे अधिकतम 12 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी। यह सब्सिडी 25 से 32 सीटर सिटी बस पर रहेगी।
सचिव परिवहन अरविंद सिंह हयांकी ने बताया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ओर से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिए गए निर्देशों के क्रम में और आमजन को सुविधाजनक यात्रा की सेवा के उद्देश्य से डीजल चालित सिटी बसों व विक्रमों को बाहर करने का निर्णय लिया गया है।
इनके स्थान पर सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों का संचालन कराया जाएगा। वर्तमान में जितनी डीजल सिटी बसों के परमिट स्वीकृत हैं, उन सभी पर बसें संचालित कराने की योजना है। शहर के उन सभी क्षेत्रों तक सिटी बस चलाई जाएगी, जहां अभी बस सेवा नहीं है। विक्रम के बदले ओमनी बस के परमिट दिए जाएंगे।
उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024 लागू कराने को बनाई गई हाईपावर कमेटी में मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे। इसमें प्रमुख सचिव/सचिव परिवहन को संयोजक जबकि चार सदस्यों में प्रमुख सचिव/सचिव वित्त, प्रमुख सचिव/सचिव शहरी विकास, सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व आयुक्त परिवहन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त नीति के क्रियान्वयन के लिए बनाई गई कमेटी में परिवहन आयुक्त को अध्यक्ष, जबकि अपर/संयुक्त परिवहन आयुक्त को संयोजक बनाया गया है। इस कमेटी में अपर सचिव वित्त समेत निदेशक शहरी विकास व संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) देहरादून को सदस्य बनाया गया है।
गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024 के अनुसार, अगर कोई विक्रम संचालक अपना वाहन स्क्रैप कराकर बस का परमिट और सब्सिडी लेना चाहता है तो उसे चार विक्रम स्क्रैप कराने होंगे। सरकार के अनुसार यह शर्त तभी मान्य होगी, जब विक्रम संचालक चार विक्रमों का स्क्रैप प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेगा। यदि, विक्रम संचालक की ओर से वाहन स्क्रैप नहीं कराया जाता है तो उसे दूसरे राज्य के लिए एनओसी दे दी जाएगी।
सरकार की उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024 के अंतर्गत सब्सिडी लेने वाले ट्रांसपोर्टरों को सिर्फ इसी योजना के अनुसार लाभ मिलेगा। यदि, वह इस सब्सिडी के साथ सरकार की दूसरी जनकल्याण से जुड़ी या वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर्यटन योजना से वाहन पर ऋण लेना चाहता है तो उसे लाभ नहीं मिलेगा।
पुराने डीजल व्यावसायिक वाहन को स्क्रैप कराकर नए सीएनजी वाहन लेने की 50 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ केवल 14 मार्च-2025 तक यानी एक वर्ष तक मिलेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह योजना शासनादेश के लागू होने से केवल एक वर्ष तक मान्य रहेगी।
यानी, 14 मार्च-2025 के बाद यदि कोई सिटी बस या विक्रम को स्क्रैप कराकर सीएनजी बस पर सब्सिडी लेना चाहेगा तो उसे लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, हाईपावर कमेटी को योजना का लाभ बढ़ाने के निर्णय का अधिकार दिया गया है।
वर्तमान में दून में सिटी बसों की स्थिति
-शहर में सिटी बसों के 319 परमिट हैं स्वीकृत, लेकिन संचालित हो रहीं केवल 178 बसें।
-कोरोनाकाल से पहले मार्च-2020 तक संचालित हो रही थी 279 सिटी बसें।
-शहर में सिटी बसों के लिए निर्धारित है 35 किमी की परिधि।
-प्रतिदिन करीब 40 हजार यात्री करते हैं सिटी बसों में यात्रा।
-बसों की हालत इनती खस्ताहाल है कि पर्यटक इनमें बैठना नहीं करते पसंद।
परिवहन विभाग ने एक नवंबर-2022 को दून समेत ऋषिकेश, विकासनगर व हरिद्वार से डीजल चालित विक्रम व आटो को बाहर करने का निर्णय लिया था। निर्णय हुआ था कि दस वर्ष से अधिक पुराने डीजल विक्रम-आटो 31 मार्च-2023 जबकि दस वर्ष से कम पुराने डीजल विक्रम-आटो 31 दिसंबर-2023 के बाद नहीं चलेंगे।
इनके स्थान पर सीएनजी व पेट्रोल चालित टाटा मैजिक चलाने का निर्णय हुआ। निर्णय के विरोध में विक्रम और आटो संचालक उच्च न्यायालय पहुंच गए। मामला अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस बीच परिवहन विभाग ने अब डीजल चालित सिटी बसों को भी बाहर करने की तैयारी शुरू कर दी है।
2027 तक प्रदेश के सभी शहरों से पुराने डीजल वाहन चलन से होंगे बाहर
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