उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: नवरात्रों में हो सकता है कैबिनेट विस्तार, भाजपा विधायकों की धड़कनें तेज

कैबिनेट में पांच सीटें खाली, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने की कोशिश
देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय से चर्चा में चल रहे कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की संभावना अब चैत्र नवरात्रों के आसपास जताई जा रही है। इससे भाजपा के संभावित मंत्री दावेदारों का इंतजार और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को दिल्ली से लौट सकते हैं, जिससे राजनीतिक हलचल और तेज हो सकती है।

प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद बढ़ी अटकलें
कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं उस समय तेज हो गई थीं जब मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने 16 मार्च को मंत्री पद से इस्तीफा दिया। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री के विवादित बयान के चलते भाजपा हाईकमान ने सख्त रुख अपनाते हुए उनसे इस्तीफा ले लिया था। इसके बाद से कैबिनेट में रिक्त पद को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

नवरात्रों में विस्तार की संभावना
पहले माना जा रहा था कि कैबिनेट विस्तार सरकार के तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के आसपास होगा, लेकिन अब खबरें हैं कि 30 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रों के दौरान ही यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है। भाजपा हाईकमान भी शुभ मुहूर्त में कैबिनेट विस्तार करने के पक्ष में है, इसलिए इस बार नवरात्र का समय तय माना जा रहा है।

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पांच सीटें खाली, दावेदारों में हलचल तेज
उत्तराखंड कैबिनेट में पांच मंत्री पद खाली हैं। इस वजह से भाजपा के कई विधायक मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। भाजपा हाईकमान क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का ध्यान रखते हुए मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल कर सकती है। खासकर जिन जिलों का अब तक कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं हुआ है, वहां के विधायकों में सबसे ज्यादा हलचल मची हुई है।

हाईकमान से मुलाकात की अटकलें
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार से दिल्ली में हैं। इस दौरान उनकी भाजपा हाईकमान के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की संभावनाएं जताई जा रही हैं। हालांकि, अब तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाई है कि उनकी किन नेताओं से भेंट हुई और किन नामों पर चर्चा हुई।

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इन नामों पर हो सकती है चर्चा
कैबिनेट विस्तार को लेकर जिन विधायकों के नाम चर्चा में हैं, उनमें सतीश कुमार, सौरभ बहुगुणा, बंशीधर भगत, कैलाश गहतोड़ी और धन सिंह रावत प्रमुख हैं। हालांकि, अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान की रणनीति और मुख्यमंत्री धामी की सिफारिशों पर निर्भर करेगा।

क्षेत्रीय संतुलन पर विशेष ध्यान
भाजपा नेतृत्व इस बार क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने की पूरी कोशिश करेगा। खासकर कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों से समान प्रतिनिधित्व देने की रणनीति अपनाई जा सकती है। इससे पार्टी आगामी चुनावों में विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों को साधने की कोशिश करेगी।

नवरात्र में संभावित विस्तार पर टिकी निगाहें
अब सबकी निगाहें नवरात्रों के आसपास संभावित कैबिनेट विस्तार पर टिकी हुई हैं। दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई हैं और वे हाईकमान के निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। भाजपा के रणनीतिकार इसे 2027 के चुनावों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं।

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