बागेश्वर। “नशा नहीं, रोज़गार दो” आंदोलन के तहत जन-जागरण अभियान गुरुवार को अल्मोड़ा से बसोली, ताकुला होते हुए बागेश्वर पहुँचा। अभियान के संयोजक पी.सी. तिवारी के नेतृत्व में अभियान दल ने विभिन्न स्थानों पर जनसंपर्क और गोष्ठियों का आयोजन कर प्रदेश सरकार द्वारा गांव-गांव में नशे के प्रचार को उत्तराखंड की अस्मिता के लिए खतरा बताया और जनता से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
जिला बार एसोसिएशन में उत्तराखंड अधिवक्ता महासंघ के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि चारु तिवारी ने उत्तराखंड की जमीनों की स्थिति और भू-कानून पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शराब पीने वाला परिवार का और बेचने वाला समाज का दुश्मन है, लेकिन असली दुश्मन वह है जो नशा बिकवाता है।
पी.सी. तिवारी ने अपने संबोधन में उत्तराखंड की मूल अवधारणा को नष्ट किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जनता की मांग समान नागरिक संहिता (UCC) नहीं, बल्कि रोज़गार है। उन्होंने आरोप लगाया कि परिसीमन के बाद प्रदेश की स्थिति और खराब हो सकती है। उन्होंने यह प्रस्ताव पारित करने की मांग की कि कोई भी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के दौरान शराब नहीं बांटेगा।
सविता नगरकोटी ने युवाओं में बढ़ते नशे और हाल ही में एक हाईस्कूल छात्र की आत्महत्या का ज़िक्र करते हुए चिंता जताई। दिलीप सिंह खेतवाल ने पीरूल को रोजगार के रूप में अपनाने की पुरजोर वकालत की। इंद्र सिंह परिहार ने सरकार पर नशे और खनन से प्रदेश को चलाने का आरोप लगाया।
सामाजिक कार्यकर्ता उमेश जोशी ने जनप्रतिनिधियों पर अपनी पार्टियों के गुलाम होने का आरोप लगाते हुए जनता से एक झंडे के नीचे आने की अपील की। किशन सिंह मलड़ा ने स्थानीय संसाधनों (पांगर, पीरूल आदि) का रोजगार में उपयोग करने की आवश्यकता बताई।
रमेश पर्वतीय ने बागेश्वर में खड़िया पाउडर की फैक्ट्री लगाने की मांग उठाई। स्थानीय महिला मजदूर मीना ने महिलाओं के रोजगार छिनने और पुरुषों को प्राथमिकता दिए जाने पर चिंता व्यक्त की।
गोष्ठी की अध्यक्षता एडवोकेट आनंद सिंह गाड़िया ने और संचालन एडवोकेट गोविंद सिंह भंडारी ने किया। इसमें एडवोकेट रंजना सिंह, हीरा देवी, दिनेश उपाध्याय, डॉ. भीम सिंह मनकोटी, भावना पांडे, एठानी जी, महीप समेत कई लोग शामिल रहे।
इसके बाद अभियान दल गरुड़, बैजनाथ और ग्वालदम होते हुए आगे रवाना हो गया।
