मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा बीमा योजना के तहत आनलाइन और आफलाइन दोनों माध्यम से होगा बीमा
देहरादून। जिले में मत्स्य पालकों के लिए यह राहत भरी खबर है। मत्स्य विभाग की ओर से मत्स्य पालकों के हित में बीमा कराने की कवायद अप्रैल से शुरू की जा रही है। यह बीमा मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा बीमा योजना के तहत किया जाएगा। जो आनलाइन और आफलाइन दोनों माध्यम से होगा।
योजना के तहत मछलियों का बीमा किया जाएगा। योजना की खास बात यह है कि इसमें प्रीमियम की आधी राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। इससे मछली पालकों को सिर्फ आधा प्रीमियम ही जमा करना होगा। योजना के तहत एक वर्ष के अंदर मछली मरने या किसी अन्य प्रकार से नुकसान होने पर मछली पालक को इसकी भरपाई की जाएगी।
इस योजना के बाद से अब बाढ़ से तालाब टूटने, बीमारी से मछलियों के मरने, दैवीय आपदा आदि से नुकसान होने पर मत्स्य पालक को बीमा की राशि से क्षतिपूर्ति की जाएगी। इससे पहले मत्स्य पालकों को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति नहीं की जाती थी। जिसकी वजह से राज्य में मत्स्य पालकों का बाढ़ और आपदा के कारण भारी नुकसान हो जाता है। जिस कारण कम लोग ही इस व्यवसाय को किया करते हैं। इस योजना के बाद जिले मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलेगा। यह बीमा तालाबों के क्षेत्रफल के आधार पर अलग-अलग प्रीमियम पर किया जाएगा।
इन घटकों को किया गया है शामिल
• तालाब में मत्स्य उत्पादन
• नर्सरी, रियरिंग तालाब प्रबंधन से मत्स्य बीज का उत्पादन
• कार्प हैचरी संचालन के लिए मत्स्य प्रजनकों का उत्पादन
• यह है बीमा का प्रीमियम
तालाब में मत्स्य उत्पादन: इस योजना के तहत 20,700 प्रीमियम राशि प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है।
नर्सरी/रियरिंग तालाब प्रबंधन से मत्स्य बीज का उत्पादन : इस योजना के तहत 52,500 प्रीमियम राशि प्रति हेक्टेयर तय की गई है।
कार्प हैचरी संचालन के लिए मत्स्य प्रजनकों (ब्रुडर) का उत्पादन : इस योजना के तहत 56,250 प्रीमियम राशि प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है।
देहरादून वरिष्ठ मत्स्य निरीक्षक मनीष नवानी के अनुसार, मत्स्य संपदा बीमा योजना का 80 प्रतिशत की क्षति पर लाभ मिलेगा। योजना के तहत भरपाई के लिए 24 घंटे के अंदर लाभार्थी को जिला मत्स्य अधिकारी एवं 48 घंटे के भीतर अधिकारी की ओर से बीमा कंपनी को सूचित किया जाएगा।