उत्तराखण्ड

गंगोत्री नेशनल पार्क में 2800 फीट की ऊंचाई पर बनेगा देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र

4.87 करोड़ की योजना की वित्तीय व प्रशासनिक मंजूरी मिली
देहरादून। गंगोत्री नेशनल पार्क में अब देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र आकार लेने जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय के अंतर्गत यह केंद्र 4.87 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा। शासन ने इसके लिए वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है।
इसका वित्त पोषण क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण से होगा। प्राधिकरण ने प्रथम किस्त के रूप में 1.97 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर दी है। केंद्र की स्थापना के लिए दो वर्ष की समय सीमा निर्धारित की गई है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं के संरक्षण के दृष्टिगत गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र की स्थापना की कवायद वर्ष 2019 से चल रही थी। इसके बाद नीदरलैंड के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट प्रो ऐने फीनिस्त्रा से इस केंद्र का डिजाइन तैयार कराया गया। तब इसे लेकर शासन में उच्च स्तर पर बैठकें भी हुई, लेकिन इसके लिए धन की व्यवस्था को लेकर मामला अटका हुआ था। बाद में निर्णय लिया गया कि क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण से इसके लिए फंडिंग कराई जाए।
प्राधिकरण ने चालू वित्तीय वर्ष की वार्षिक कार्ययोजना में यह विषय शामिल किया। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र के महत्व को देखते हुए केंद्र से इसे क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण से बजट की स्वीकृति का आग्रह किया। बाद में केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी। अब शासन ने हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र की 4.87 करोड़ की योजना को वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है।
वन विभाग की इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए वन मंत्री सुबोध उनियाल से चालू वित्तीय वर्ष में 1.97 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी करने का अनुमोदन मिलने के बाद प्राधिकरण ने यह राशि अवमुक्त भी कर दी है। प्राधिकरण के सीईओ जीएस पांडेय ने बताया कि हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निर्माण दो वर्ष में होगा। हिम तेंदुओं के दृष्टिकोण से यह देश का पहला केंद्र है।
हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निर्माण गंगोत्री नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार भैरोंघाटी में लंका पुल के पास किया जाएगा। यह स्थल 2800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस केंद्र में हिम तेंदुओं के संरक्षण-संवर्द्धन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। शोधार्थियों के लिए यह महत्वपूर्ण साबित होगा।

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