दे दे कर संकेत जोशीमठ बोल रहा है,
शांत समंदर में क्यों मानव तू ये पत्थर फेंक रहा है।
आज प्रकृति के सम्मुख,देख तेरा विज्ञान भी घुटने टेक रहा है।
सह सह कर अन्याय तेरा ,अब धैर्य प्रकृति का डोल रहा है।
– कविता जोशी, हरिद्वार उत्तराखंड
दे दे कर संकेत जोशीमठ बोल रहा है,
शांत समंदर में क्यों मानव तू ये पत्थर फेंक रहा है।
आज प्रकृति के सम्मुख,देख तेरा विज्ञान भी घुटने टेक रहा है।
सह सह कर अन्याय तेरा ,अब धैर्य प्रकृति का डोल रहा है।
– कविता जोशी, हरिद्वार उत्तराखंड