जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सभी पक्षकारों सहित
राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा, 12 सितंबर के सुनवाई
(कमल जगाती)
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा, गौला, नंधौर, कोसी और दाबका नदियों में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भूकटाव को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सभी पक्षकारों सहित राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 12 सितंबर के लिए तय की है।
मामले के अनुसार हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि उत्तराखंड में बरसातों की वजह से इनदिनों नदियां उफान पर हैं। जगह जगह नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भूकटाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसके कारण नदियों से लगे आबादी क्षेत्र में जलभराव हो रहा है। नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हैक्टेयर वन भूमि, पेड़ और सरकारी योजनाएं बह गई हैं। नदियों को तरीके से चैनेलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ बदल दिया है। इसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो गयी है। बाढ़ से कई पुल बह गए हैं। सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर और मलुआ को नही हटाया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि सरकार ने न्यायलय के 14 फरवरी 2023 के आदेशों का भी पालन नहीं किया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार द्वारा समय समय पर नदियों से सफाई की जाती है।
गंगा, गौला, नंधौर, कोसी और दाबका नदियों में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से जलभराव पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब
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