देहरादून: उत्तराखंड में एचआईवी संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राजधानी देहरादून के साथ ही हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जैसे जिलों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हालांकि, बीते चार वर्षों में संक्रमण दर स्थिर बनी हुई है।
देहरादून सबसे अधिक प्रभावित
पिछले चार वर्षों में राज्य में मिले कुल 4,556 एचआईवी संक्रमितों में से 36 प्रतिशत यानी 1,656 मामले अकेले देहरादून में सामने आए हैं। इसके बाद नैनीताल में 968 मामले दर्ज किए गए हैं। हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में भी संक्रमण के मामले काफी अधिक हैं।
मैदानी इलाकों में अधिक खतरा
राज्य के चारों मैदानी जिलों में कुल 90 प्रतिशत एचआईवी संक्रमित मिले हैं, जो दर्शाता है कि ये इलाके संक्रमण के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
उपचार और जागरूकता अभियान
राज्य में एचआईवी संक्रमितों के लिए 12 एआरटी सेंटर हैं जहां 7,574 मरीजों को निःशुल्क दवाएं दी जा रही हैं। हालांकि, एड्स का कोई स्थायी इलाज अभी तक नहीं मिला है।
स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को एचआईवी के खतरों से अवगत कराता रहता है।
उठाए जा रहे कदम
* लक्ष्यगत हस्तक्षेप परियोजना: महिला यौनकर्मी, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले, समलैंगिक और ट्रक ड्राइवरों जैसे उच्च जोखिम समूहों को जागरूक करने के लिए 37 गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
* ओएसटी सेंटर: नशीले पदार्थों का इंजेक्शन लगाने वालों में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए 8 ओएसटी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।
* सुरक्षा क्लीनिक: यौन संचारित रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए 29 क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।
चिंता का विषय
हालांकि राज्य सरकार संक्रमण को रोकने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन बढ़ते मामलों ने चिंता जताई है। विशेष रूप से मैदानी इलाकों में स्थिति गंभीर है।
आगे का रास्ता
एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। साथ ही, उच्च जोखिम समूहों तक पहुंच बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चा
देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों में एचआईवी संक्रमण चिंताजनक
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