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उधमसिंह नगर

रुद्रपुर में पांच वर्षीय मूक-बधिर बालक के साथ कुकर्म कर हत्या के दोषी की फांसी आजीवन कारावास में तब्दील

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निचली अदालत से मिली फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा में बदला
रुद्रपुर।
पांच वर्षीय मूक-बधिर बालक के साथ कुकर्म कर उसकी निर्मम हत्या करने के दोषी हरस्वरूप को निचली अदालत से मिली फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने उसके माता-पिता की सजा को बरकरार रखते हुए मामले को निस्तारित कर दिया है।
21 फरवरी 2019 को ट्रांजिट कैंप थाना क्षेत्र निवासी बालक के पिता ने ट्रांजिट कैप थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका पांच वर्षीय मूक बधिर बेटा घर की छत पर खेल रहा था। कुछ समय बाद जब उसकी मां उसे छत पर लेने के लिए गई तो वह वहां नहीं था। उन्होंने बेटे को हर संभावित जगह व रिश्तेदारों के वहां खोजा, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चला। इसके बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस की जांच करने पर पता चला कि उनका पड़ोसी हरस्वरूप, उसके पिता पप्पू, माता रूपवती व पवन उनके पुत्र की खोजबीन में सहयोग नहीं कर रहे हैं और उनसे नजरें चुरा रहे हैं।
रात में उन्हें अपनी छत पर कुछ आवाजें सुनाई दी तो वे अपने परिजनों के साथ छत पर गए तो देखा कि पड़ोसी हरस्वरूप उनकी पानी की टंकी का ढक्कन खोलने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने उसे पकड़ने का प्रयास किया तो वे उसे धक्का देकर भाग गया और घर जाकर छिप गया। जब पुलिस ने 21 फरवरी 2019 को उसके घर की तलाशी ली तो उनके पुत्र की नग्न लाश उनके घर में रखे एक बोरे से बरामद हुई। साथ ही उसके कपड़े भी बरामद हुए। पुलिस ने बालक का पोस्टमार्टम कराया तो डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में बालक के शरीर पर चोटें बताईं तथा गला घोंटकर हत्या करने की पुष्टि भी की।
पुलिस ने मौके पर ही तीनों अभियुक्तों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया । तीनों अभियुक्तगण हरस्वरूप, पप्पू व रूपवती के खिलाफ तत्कालीन पॉक्सो न्यायाधीश श्रीमती विजय लक्ष्मी विहान की कोर्ट में मुकदमा चला। सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विकास गुप्ता ने 11 गवाह पेश कर बच्चे के साथ कुकर्म व हत्या करने का आरोप सिद्ध कर दिया। पॉक्सो न्यायाधीश विजय लक्ष्मी विहान ने अपना निर्णय सुनाते हुए बालक के साथ कुकर्म कर उसकी निर्मम हत्या करने के अपराध को रेयर ऑफ़ रेयरेस्ट (दुर्लभतम कुकर्म-हत्याकांड) करार देते हुए हरस्वरूप को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई और 10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया। साक्ष्य छुपाने पर पॉक्सो कोर्ट ने उसके पिता को 4 वर्ष के कठोर कारावास व उसकी मां रुपवती को 3 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

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