उत्तराखण्ड

भूकंप की दृष्टि से जोशीमठ अति संवेदनशील, निरंतर महसूस हो रही है ध्वनि

वैज्ञानिक अध्य्यन में खुलासा, मंडरा रहा है बड़े भूकंप का खतरा

देहरादून। जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों और अब वहां के हालात को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन में नई-नई जानकारियां सामने आई हैं। नौ संस्थाओं के विज्ञानियों की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने हाल ही में सार्वजनिक किया है। भूकंप की दृष्टि से देखें तो यह पूरा क्षेत्र अति संवेदनशील श्रेणी में है। लिहाजा, राज्य सरकार भी इसे गंभीरता से ले रही है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान से कराया गया अध्ययन भी इस चिंता को जाहिर करता है। संस्थान के विज्ञानियों ने भूकंप की छोटी से छोटी हलचल को रिकॉर्ड करने के लिए क्षेत्र में 11 सिस्मिक स्टेशन स्थापित किए हैं। जो ब्रॉडबैंड आधारित है और वाडिया संस्थान में स्थापित कंट्रोल रूम को रियल टाइम जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
इस बात की जानकारी हाल में सार्वजनिक की गई, वाडिया संस्थान की अध्ययन रिपोर्ट में साझा की गई है। वाडिया की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, 11 सिस्मोलॉजिकल स्टेशन का जो नेटवर्क तैयार किया गया है, वह एक मैग्नीट्यूड तक के सूक्ष्म भूकंप तक को रिकॉर्ड करने में सक्षम है।
अध्ययन रिपोर्ट में संस्थान के विज्ञानियों ने 13 जनवरी से 12 अप्रैल के बीच आए भूकंपों को रिकॉर्ड किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में जोशीमठ के 50 किलोमीटर के दायरे में 1.5 मैग्नीट्यूड के 16 बार भूकंप रिकॉर्ड किए गए। इसे विज्ञानियों ने इस भूकंपीय जोन के लिहाज से सामान्य माना है। वर्ष 1999 के चमोली भूकंप का केंद्र जोशीमठ के दक्षिण में रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1999 में चमोली जिले में जो 6.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था, उसका केंद्र जोशीमठ के दक्षिण में था।
बीते 50 साल में भी जो भूकंप इस बेल्ट में रिकॉर्ड किए गए हैं, वह सभी चमोली के भूकंप के केंद्र के आसपास ही आए हैं। इससे यह पता चलता है कि इस पूरे क्षेत्र में भूकंप की सूक्ष्म घटनाएं निरंतर हो रही हैं। यह स्थिति भूगर्भ में निरंतर तनाव की ओर भी इशारे करती है। 10 किलोमीटर की कम गहराई में आ रहे भूकंप वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों के अनुसार, हाल में जो भी सूक्ष्म भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं, वह भूगर्भ में महज 10 किलोमीटर की गहराई में आए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सिस्मोग्राफ ने अध्ययन अवधि में सबसे बड़ा भूकंप 24 जनवरी 2023 को 5.4 मैग्नीट्यूट का रिकॉर्ड किया। हालांकि, इसका केंद्र जोशीमठ से 100 किलोमीटर नेपाल के पश्चिमी भाग में पाया गया। सिस्मोग्राफ निरंतर रिकार्ड कर रहा शोर भूगर्भीय हलचल से उत्पन्न ध्वनि को भी सिस्मोग्राफ निरंतर रिकॉर्ड कर रहे हैं।
विज्ञानियों के मुताबिक जोशीमठ क्षेत्र में सिस्मोग्राफ निरंतर ध्वनि महसूस कर रहे हैं। रात के मुकाबले यह ध्वनि दिन के समय अधिक सुनाई दे रही है। यहां स्थापित किए गए सिस्मिक स्टेशन पैन्का, औली रोड सुनील, मारवाड़ी, भौना सुनील, हेलंग, मेराग, थंग, रविग्राम, अपर बाजार, तपोवन, गुरुगंगा।

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