घुटने में आई चोट का ऑपरेशन के बाद मिला है साहसिक खेल का सबसे बड़ा पुरस्कार
नैनीताल। लिगामेंट ऑपरेशन के बाद ऐसा लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन 12वीं फेल फिल्म देखने के बाद मुझमें दोबारा काम शुरू करने का जज्बा पैदा हुआ और मैं सफलतापूर्वक आरोहण करने में सफल रही। इसके लिए मैं हंस फाउंडेशन को तहेदिल से धन्यवाद देना चाहती हूं। यह कहना है एवरेस्ट विजेता और एक और साहसिक अभियान में सफलता के झंडे गाड़ चुकी शीतल राज का।
शीतल राज ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए एथिकल हिमालय एक्सपीडिशन और उनके पर्वतीय विशेषज्ञ मार्गदर्शकों को भी धन्यवाद देना चाहती हूं।
पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्र निवासी शीतल के अनुसार परिवार ने हमेशा अच्छे-बुरे में उनका साथ दिया है। शीतल ने पूर्व में भी काफी उपलब्धियां हासिल की हैं। साहसिक खेल का सबसे बड़ा पुरस्कार तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड से सम्मानित तथा दुनिया की सबसे कम उम्र में सफलतापूर्व माउंट कंचनजंघा, एवरेस्ट, अन्नपूर्णा तथा आदि कैलास रेंज में माउंट चीपीदंग को लीड करने वाली शीतल ने खेलो इंडिया नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
स्कीइंग करने के दौरान शीतल राज को घुटने में गहरी चोट आई और ऑपरेशन कराना पड़ा। दो साल बाद वह फिर से खड़ी हुई और माइनस 35 डिग्री तापमान में सफलतापूर्वक समिट पूरा किया।
अब शीतल का 8000 मीटर ऊंचाई वाले छह पर्वतों पर आरोहण करने का सपना है। इस वर्ष वह माउंट धौलागिरि और माउंट चोयू पर आरोहण करेंगी। पूर्व अंतरराष्ट्रीय धावक हरीश तिवारी के अनुसार शीतल युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं, उसकी सफलता साहसिक फैसले लेने को प्रेरित करती है। शीतल उत्तराखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट में विशेषज्ञ के रूप में संविदा में तैनात है।
12वीं फेल फिल्म से मिली प्रेरणा, पिथौरागढ़ की शीतल ने खेलो इंडिया नेशनल चैंपियनशिप में जीता कांस्य पदक
By
Posted on