भवाली के न्यायिक एवं विधिक अकादमी में कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर परामर्श पर कार्यशाला आयोजित
(कमल जगाती)
नैनीताल। उत्तराखण्ड में भवाली के न्यायिक एवं विधिक अकादमी में कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर परामर्श (सी.आई.सी.एल.)रोकथाम, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, विचलन और हिरासत के विकल्प के विषय पर एक दिवसीय कॉन्फ्रेन्स हुई।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व अन्य न्यायमूर्तियों ने अपने विचार रखे। उजाला एकेडमी के ऑडिटोरियम में हुई कॉन्फ्रेन्स के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने हाइकोर्ट किशोर न्याय समिति और महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त पहल की सराहना की। सी.जे.ने कहा कि बच्चे निर्दोष होते है, तथा कच्ची मिट्टी की तरह होते है, और सामाजिक परिस्थितियों का उनपर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों का जीवन कैसे सुरक्षित हो इसपर सभी को गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। इस अवसर न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने भी अपने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि एड्यूकेशन सिस्टम में छात्र छात्राओं को मॉरल एड्यूकेशन में पास होना जरूरी करना चाहिए। कहा कि बच्चों की पेरेंटिंग का बड़ा रोल होता है, एक सर्वे में 42 प्रतिशत बच्चे निचले तबके के निकले थे। हरिद्वार चाइल्ड केअर सेंटर में सरकार अच्छा ध्यान दे रही है वहां बच्चों की काउंसिलिंग भी करते हैं। मीडिया का बड़ा रोल, है जिसके माध्यम से सरकार की योजनाओं को घर घर तक पहुंचाया जा सकता है। इंटरनेट से भी बिगड़ रहे हैं बच्चे। न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने कहा कि बच्चे बड़ों को देखकर सीखते हैं। बच्चे भगवान का रूप होते हैं। हर बच्चा परिवार के परवरिश का चेहरा होता है। अगर बच्चा दूर जाकर बैठता है तो इसका मतलब उसे परिवार के सदस्यों की जरूरत है। डा.भारती अली ने कहा की पोक्सो के सेमिनार में एक बच्ची आकर बोली कि ये बात परिजनों को बताओ जो समझते नहीं हैं। हमने प्रिंसिपल को बताया तो उन्होंने पी.टी.एम.में नहीं आ रहे परिजनों को आकर्षित करने के लिए फ्री राशन देना शुरू किया। जुविनाइल जस्टिस, क्रिमिनल जस्टिस का हिस्सा है या सोशियल जस्टिस का, इसपर भी तय करने का समय आ गया है। स्पेशल जुविनाइल पुलिस यूनिट पर चर्चा होनी चाहिए।
सेमिनार में न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, सचिव एच.सी.सेमवाल, न्याय सचिव नरेंद्र दत्त,
एस.एस.पी.पंकज भट्ट, समेत कई बड़े अधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद थे।
बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह, सामाजिक परिस्थितियों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है: सीजे
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