(गौरव कुमार)
हरिद्वार। ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान प्रताप चौक सहरसा के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है, इसे नरक निवारण चतुर्दशी भी कहते हैं।
इस साल 20 जनवरी, शुक्रवार को यह तिथि पड़ रही है। पुराणों के अनुसार इस तिथि पर शंकर भगवान की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है। इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है। इस वजह से खास है यह तिथि शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी
पार्वती के साथ समपन्न हुआ था। इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है। इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां
स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिनविधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है। (ऐसी पौराणिक मान्यता है )इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए। अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए,साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से बहुत लाभ है।