उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में पैत्रिक संपत्ति पर बेटियों को मिल सकता है अधिकार

समान नागरिक संहिता को लेकर गठित कमेटी कर सकती है सिफारिश
देहरादून। समान नागरिक संहिता को लेकर गठित कमेटी बेटियों को भी पैत्रिक संपत्ति में अधिकार देने की सिफारिश कर सकती है। सभी धर्मों के लोगों के लिए इसे अनिवार्य किया जा सकता है।
कमेटी की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। कमेटी के कुछ सदस्य दून भी पहुंच चुके हैं। दो फरवरी को कमेटी की अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में सभी सदस्य सीएम धामी को यह रिपोर्ट सौंपने जा रहे हैं। कमेटी के सदस्यों ने सीमांत क्षेत्र माणा से लेकर मुनस्यारी तक पहुंच कर लोगों के सुझाव लिए। सूत्रों ने बताया कि कमेटी रिपोर्ट में बेटियों को भी बेटों के समान पैत्रिक संपत्ति पर अधिकार देने की वकालत की है।
कमेटी के समक्ष इसके अलावा विभिन्न सुझाव आए हैं। इनमें बुजुर्गों के भरण-पोषण व विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को नियम बनाने, लड़कियों के लिए शादी की उम्र 21 वर्ष करने, गोद लेने और जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने आदि सुझाव आए थे। कमेटी इनमें से कुछ बिंदुओं को शामिल कर सकती है। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होता है तो फिर महिलाओं को पैत्रिक संपत्ति में अधिकार मिलने के साथ ही उनके प्रति अपराधों में कमी आएगी। इसके साथ ही ससुराल में उनके मन में भी आर्थिक सुरक्षा का भाव पैदा नहीं होगा। इससे निश्चित तौर पर न्यायालयों में मुकदमों की संख्या में कमी आ सकती है। वहीं, इस कानून से देश की आधी आबादी कही जाने महिलाओं की सहानुभूति मिल सकती है।

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