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उत्तराखंड पुलिस

जेल से पैरोल पर जाने वाले कैदी इस बात का रखें ध्यान, वरना होगी गिरफ्तारी

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पैरोल खत्म होने पर वापस जेल नहीं लौटने वाले कैदी को फिर दो साल तक नहीं मिलेगी पैरोल
देहरादून। पैरोल मिलने के बाद देरी से लौटने वाले कैदियों के लिए अब गृह विभाग ने नियम सख्त कर दिए हैं। इसके तहत यदि कोई कैदी पैरोल की समयावधि समाप्त होने के बाद जेल वापस नहीं आता तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा। उसे अगले दो वर्ष तक पैरोल नहीं दिया जाएगा।
प्रदेश में कैदियों को सुधारने और जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों को पैरोल का प्रविधान किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि कैदी अपने पारिवारिक जीवन के साथ निरंतरता बना सकें, साथ ही पारिवारिक व सामाजिक मामलों को निपटने में भी सक्षम रहें।
कैदियों को कैद में रहने के दौरान तनाव और बुरे प्रभावों से उबरने में सक्षम बनाना, जेल में अच्छे व्यवहार और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करना भी इसका उद्देश्य है। कोरोना काल के दौरान यह देखा गया कि कई कैदी पैरोल मिलने के बाद निर्धारित अवधि तक वापस नहीं आए। इनकी तलाश में पुलिस का भी सहयोग लिया गया। उन्हें वापस लाने में काफी समय लग गया।
कैदियों को लेकर केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को अपने हिसाब से जेल मैनुअल को बनाने के निर्देश दिए थे। प्रदेश सरकार ने जेल मैनुअल लागू कर दिया है। इसमें पैरोल के संबंध में यह व्यवस्था की गई है कि कैदी पैरोल की अवधि में जिला प्रशासन की निगरानी में रहेगा।
इस दौरान वह अच्छा व्यवहार करेगा और किसी प्रकार का अपराध नहीं करेगा। पैरोल की अवधि में अपने प्रवास के निकटतम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करेगा। इनमें से किसी शर्त का उल्लंघन करने पर उसे नियत समय से पहले ही जेल बुला लिया जाएगा।
अगर वह नियत समय से अधिक समय तक नहीं आता है अथवा अनुपस्थिति के संबंध में सूचना नहीं देता तो फिर जिला प्रशासन इसकी सूचना जेल को देगा और पुलिस से इनकी गिरफ्तारी में मदद लेगा। नियत समय के तीन दिन के भीतर ऐसा कैदी जेल में आकर आत्मसमर्पण करता है तो उसे अनिवार्य रूप से रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
फिर से तीन दिन तक देरी होने पर अगले दो वर्ष के लिए पैरोल स्वीकार नहीं किया जाएगा। तीन दिन से अधिक की देरी के बाद आत्मसमर्पण अथवा गिरफ्तार होने की स्थिति में भी दो वर्ष तक पैरोल नहीं दिया जाएगा।
कैदी को पैरोल के लिए एक फार्म भरना होगा। जिसमें वह पैरोल लेने के कारण के संबंध में जानकारी देगी। जेल अधीक्षक बंदी के आचरण, परिवार और समुदाय के प्रति दृष्टिकोण का संदर्भ लेते हुए पैरोल देने पर विचार करेंगे।
सहमत होने पर वह अपनी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से पुलिस महानिरीक्षक को भेजेंगे, जो इस पर निर्णय लेंगे। पुलिस की असहमति के बारे में कारणों सहित जानकारी दी जाएगी। आपातकालीन स्थिति में जेल अधीक्षक अपने स्तर से 24 घंटे का पैरोल दे सकते हैं।
ऐसे कैदी जिन्हें पांच साल से कम की सजा मिली है उन्हें जेल में एक वर्ष पूरा होने के बाद प्रतिवर्ष 21 दिन का अवकाश दिया जाएगा। पांच साल से 14 साल तक सजा पाने वाले कैदियों को दो वर्ष जेल में काटने के बाद पैरोल स्वीकृत किया जाए।

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संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
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