उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद भी पहाड़ी पहचान का संकट, जबकि हिमाचल में समृद्धि: मांशी आशर
अल्मोड़ा। जननायक डा. शमशेर सिंह बिष्ट की पांचवीं पुण्यतिथि पर उनके संघर्ष को याद करते हुऐ श्रद्धांजलि दी गई । सभा में बतौर मुख्य अतिथि हिमाचल की मासी आशर ने कहा कि हिमाचल में उत्तराखण्ड की तरह पलायन नहीं है क्योकि हिमाचल प्रदेश ने अपनी जनता को भूमि सुधारों के माध्यम से कृर्षि वागवानी के माध्यम से समृद्धि पाई। उन्होंने कहा की विकास और आपदाओं में से हम सबको एक चुनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सब के बागानों तक सड़कों के विस्तार के लिए जो सड़कें खोली गई उसके फल स्वरुप वहां बड़े आपदाएं हैं उन्होंने कहा की हिमाचल में बांध के बनने के बाद रोखड़ में तब्दील हो गई नदियों पर बड़े-बड़े होटल व रिसोर्ट में बनाए गए। किंतु जब हिमांचल में अत्यधिक वर्षा के कारण नदी अपने स्वाभाविक प्रवाह की तरफ बहने लगी जिसके परिणाम स्वरूप हिमाचल में जल प्रलय.आ गया उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो सड़कों का विस्तार हो रहा है सड़कों के चौड़ाई बढ़ रही है उसे हमें यह समझ लेना चाहिए कि भविष्य में प्राकृतिक आपदाये स्वाभाविक है , इस अवसर पर वन कानूनों पर प्रकाश डालते हुवे विनोद पाण्ड़े ने कहा कि नये बन कानूनों के तहत केन्द्र सरकार ने बनों पर अनियन्त्रित मानवीय गतिविधियों की छूट देने का कानून पास कर दिया है सीमान्त प्रदेशों मे सौ किलोमीटर हवाई पैन्ज मे अब सरकार विकास की छूट देने जा रही है उन्होंने कटाक्ष करते हुवे कहा कि आपदा प्रभावितों के लिये , सरकार के पास जमीने नही है, पर पर्यटन व अन्य गतिविधियों के लिये अनियन्त्रत वन भूमि देने की बात हो रही है कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने वाहनी के जनसंघर्षों पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि 1972से विभिन्न आयामों से आगे बढते हुए उत्तराखण्ड़ राज्य व बड़े बांधों के दुष्प्रभावों पर संघर्ष व जागरण करती रही , इस अवसर पर विनोद पाण्ड़े ने बन कानूनों पर अपनी बात रखते हुवे कहा कि , नये बन कानूनो में अब सरकार को अनियमित छूटे मिल गई है कार्यक्रम में उलोवा के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी, एड जगत रौतेला, अजय मित्र बिष्ट, अजय मेहता, जंगबहादुर थापा, मोहन सिंह, शिवदत्त पाण्डे, पहरू के हयात रावत , बार एसोसियेशन के अध्यक्ष महेश परिहार, उपपा के अध्यक्ष पी सी तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता बसंत खनी, कौस्तुबानंद भट्ट, शिव दत्त पांडे, राम सिंह, आशीष जोशी, संजय पाण्डे, रंगकर्मी भाष्कर भौर्याल, डा जेसी दुर्गापाल, आनन्द सिंह बगडवाल, मोहन काण्डपाल कार्यक्रम का संचालन दयाकृष्ण काण्डपाल ने किया ।