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सैंकुड़ा ढुंग: अल्मोड़ा का चमत्कारी पत्थर जिसने बदली एक गांव की किस्मत

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अल्मोड़ा, उत्तराखंड: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित सल्ट मानिला क्षेत्र के सैंकुड़ा गांव में एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जिसने न केवल एक युवक के जीवन को बदल दिया, बल्कि पूरे गांव की तस्वीर ही बदल कर रख दी। इस विशालकाय पत्थर को स्थानीय लोग ‘सैंकुड़ा ढुंग’ कहते हैं और दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आ रहे हैं।
इस पत्थर की कहानी अल्मोड़ा के सल्ट मनीला क्षेत्र में सैंकुड़ा गांव के रहने वाले विक्रम सिंह बंगारी से जुड़ी हुई है। विक्रम लंदन में नौकरी करते थे, लेकिन एक दिन अचानक उनके सपने में यह विशालकाय पत्थर दिखाई दिया। यह सपना लगातार कई दिनों तक दोहराया गया और विक्रम को इस पत्थर की ओर खींचता रहा। सपने में पत्थर विक्रम से अपने गांव लौटने और उसकी सेवा करने का आग्रह करता रहा।


विक्रम ने इस आग्रह को मानते हुए लंदन से दिल्ली और फिर अपने गांव सैंकुड़ा लौट आए। शुरुआत में गांववालों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन विक्रम अपने मिशन में दृढ़ रहे। उन्होंने पत्थर की पूजा-अर्चना शुरू की और लोगों को इसके बारे में बताया। धीरे-धीरे लोगों में भी इस पत्थर के प्रति आस्था बढ़ने लगी।
विक्रम ने पत्थर के दर्शन के लिए आने वाले लोगों के लिए होमस्टे शुरू किया। इससे गांव में पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी और लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। आज से तीन साल पहले जहां गांव में कोई नहीं जाता था, वहां आज सालाना 500-600 लोग पत्थर के दर्शन के लिए आते हैं।
विक्रम के प्रयासों से गांव में हर साल 14 जनवरी को उत्तरैणी मेला भी आयोजित होता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इस मेले से भी गांव के लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
सैंकुड़ा ढुंग ने न केवल गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि गांव के युवाओं को भी गांव में रहने के लिए प्रेरित किया है। कई युवा जो गांव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे थे, वे अब गांव में ही रहकर रोजगार कर रहे हैं।
विक्रम मानते हैं कि यह सब सैंकुड़ा ढुंग के चमत्कार के कारण ही संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि यह पत्थर गांव से पलायन को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मुख्य बिंदु:
* अल्मोड़ा के सैंकुड़ा गांव में स्थित सैंकुड़ा ढुंग एक चमत्कारी पत्थर है।
* इस पत्थर ने एक युवक विक्रम सिंह बंगारी के जीवन को बदल दिया।
* विक्रम ने पत्थर की सेवा के लिए गांव लौट आए और होमस्टे शुरू किया।
* इस पत्थर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
* इस पत्थर ने गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है और युवाओं को गांव में रहने के लिए प्रेरित किया है।
* यह पत्थर गांव से पलायन को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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संपादक: गुलाब सिंह
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