हरिद्वार

प्राचीन अवधूत मंडल में संत समागम, कबीर गायन और अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

महामंडलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश जी का जन्मोत्सव पर हुआ आयोजन


हरिद्वार।
प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी रूपेन्दर प्रकाशजी महाराज कर जन्मदिवस, अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर आश्रम प्रांगण में एक सन्त समागम तथा भव्य अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।


संत समागम के अन्तर्गत पधारे संत-महात्माओं में- स्वामी रवींद्र पुरी जी महाराज, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, महामंडलेश्वर स्वामी हरी चेतनानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज, महंत ऋषिश्वरानंद जी महाराज, आचार्य  प्रमोद कृष्णन जी महाराज, महंत रविदेव शास्त्री जी, योगीराज आशुतोष जी, महंत दिनेश दास शास्त्री, महंत गंगा दास जी महाराज, महंत सुतिक्ष्ण मुनी, महंत कमलेश्वर आनंद जी महाराज, साध्वी प्राम्या, महंत राघवेन्द्र जी महाराज, महंत गोविन्द दास जी महाराज, महंत जयेंद्र मुनि महाराज, महंत प्रेम दास जी महाराज, महंत दामोदर शरण जी, महंत केशवानंद जी महाराज तथा महंत नामदेव जी महाराज सहित उपस्थित सभी समूचे संत समाज ने जन्मदिन के अवसर पर स्वामी श्री रूपेंद्र प्रकाश जी को आशीर्वचनों के साथ बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की।
संत समागम के उपरान्त देर रात्रि तक चले इस कवि सम्मेलन में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व कर रहे श्रोता तालियाँ बजाते रहे। कवि सम्मेलन में अधिकांश कवियों ने पर्यावरण, बेटी दिवस तथा हिन्दी जैसे विषयों‌ पर अनेक विधाओं में अपनी रचनाएं सुनाकर वाहवाही लूटिक। दिल्ली से पधारी आलोचक व कवियत्री प्रो. मीना शर्मा ने- ‘लिखना है तुझे एक नया इतिहास, इस इतिहास से आगे इतिहास और भी हैं’ कह कर बेटियों की क्षमता को उजागर किया।
‘चेतना पथ’ पत्रिका के संपादक व कवि अरुण कुमार पाठक ने माँ गंगा की प्रदूषण पीड़ा- ‘यदि करोगे गंदा मुझको, पुण्य भला क्या ले पाओगे, छोड़ गंदगी मेरे तट पर, पाप कम कर ले जाओगे’ के साथ साझा की। ‘नहीं था काम वो आसां, जो कर गए हो तुम, लगा के मौत गले भी संवर गये हो तुम’ सुना कर रुड़की के गीतकार पंकज गर्ग ने शहीदों‌ की शहादत को याद किया। जापान में रह कर साहित्य सेवा कर रहीं, हिन्दी कल्चर सेंटर, टोक्यो की अध्यक्ष तथा जापान के पजीकरण पर हिन्दी की पहली पत्रिका का प्रकाशन कर रहीं श्रीमती रमा शर्मा ने- ‘रोक‌ लो विनाश को बचा लो सर्वनाश से, यही कहती है गंगा की धारा’ कह कर गंगा प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत कराया।
डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ ने- ‘लख कर दिव्य तेज तुम्हारा, मिट जाता मन का अंधियार’ कह कर गुरु महिमा का बखान किया। अमेठी से पधारे युवा ओजस्वी कवि शिव भानु कृष्णा ने- ‘वतन की शान हिंदी भाषा है अपनी पहचान हिंदी भाषा है’ के साथ हिन्दी का गुणगान किया। पूर्व शिक्षा अधिकारी डा. पुष्पा रानी वर्मा ने बेटी की शान में‌ कहा- ‘मयस्सर हुई तुम्हें शक्ति उड़ो तम आसमानों में, कभी नाकाम ना होना जिंदगी के इम्तिहानों में’, रुड़की की पूजा अरोड़ा ने- ‘तीन रंग का ये तिरंगा देश की आन-बान है, इसके आँचल में लिपटा ये सारा हिन्दुस्तान है’ से राष्ट्र वंदना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के डा. अरविन्द नारायण मिश्र ने अपना लोकप्रिय गीत- ‘नदी नहीं माँ गंगा हूँ, मैं गंगा हूँ’ की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डा. सतीश कुमार शास्त्री ने किया। अंत में सभी कवियों को स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश जी महाराज द्वारा प्रतीक चिन्ह, पगड़ी तथा अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में साधु-संत समाज के अतिरिक्त शिक्षा, समाजसेवा तथा राजनीति के साथ-साथ समाज के लगभग सभी वर्गों के शीर्ष प्रतिनिधि उपस्थित रहे जिनमें वरिष्ठ समाज सेवी जगदीश लाल पाहवा, डा. महेन्द्र आहूजा, डा. राधिका नागरथ, संजय गुप्ता, संजीव चौधरी, विश्वास सक्सेना, अनिल भारतीय आदि प्रमुख थे।

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