बी.एच.ई.एल. स्थित श्री शिव-हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाँड के साप्ताहिक पारायण
हरिद्वार। “सत्संग मनुष्य की भक्ति की रक्षा के लिये एक सुरक्षा कवच है। जिस प्रकार से हमें अपने निवास तथा भवन की निरन्तर सफाई करने की आवश्यकता होती है, उसी तरह सत्संग कर द्वारा हमारे मन-मस्तिष्क की लगातार सफाई होती रहती है। अतः हमें आजीवन सत्संग करने की आवश्यकता है।”
उक्त विचार अध्यात्म चेतना संघ के संस्थापक तथा संचालक तथा कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने आज सैक्टर पाँच, (बी.एच.ई.एल.) स्थित श्री शिव-हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाँड के साप्ताहिक पारायण के 23वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किये। आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि, “श्रीरामचरितमान तथा श्रीमद्भागवत दोनों ही ग्रंथों में नवधा भक्ति का वर्णन किया गया है। भक्ति यदि अनन्य हो तथा पूर्ण श्रद्धा के साथ की जाये, तो इसका सुफल भी अनन्त गुना होता है।” उन्होंने आगे कहा कि संत का सान्निध्य बिना किसी शर्त के लाभ देता है।
कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रीरामचरितमानस से काक-भुशुंडी रामायण का पाठ, यज्ञ तथा प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम के संयोजक अरुण कुमार पाठक ने कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र का अंगवस्त्र तथा माल्यार्पण के द्वारा सम्मान करते हुए सुन्दरकाँड के साप्ताहिक पारायण पृष्ठभूमि को उपस्थितजन के सम्मुख रखा तथा इसके उद्देश्यों की जानकारी देते हुए बताया कि इसका उद्देश्य लोगों में धार्मिक प्रचार-प्रसार के अलावा आपसी मेलजोल व सद्भावना को बढ़ाना रहा है।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में देवेन्द्र कुमार मिश्र, राजेश कुमार सिंह, मनोज कुमार, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’, मधु सैनी, पं. लाखी राम गोंदियाल, शशि रंजन चौधरी ‘समदर्शी’ आदि रहे।