हरिद्वार में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘दीपशिखा’ काव्य गोष्ठी
हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच ने अपनी अध्यक्षा डा. मीरा भारद्वाज के राजलोक विहार स्थित आवास पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें नगर के चुनिंदा कविगण नारीशक्ति का महिमा मंडन कर वाहवाही बटोरते नज़र आये।
माँ सरस्वती के विग्रह के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व कुसुमाँजलि समर्पित करने तथा देवेन्द्र मिश्र की वाणी वंदना ‘कीर्ति यश बढ़े सदा, माँ आत्म स्वाभिमान दे’ से प्रारम्भ हुई गोष्ठी में आशा साहनी ने ‘आशा हूँ आशाओं के गीत सुनने आई हूँ’ के साथ नारी के मनभाव प्रस्तुत किये, चेतना पथ संपादक अरुण कुमार पाठक ने ‘कभी मीरा कभी राधा बन कर प्रेम का पाठ पढ़ाएगी’ से युगों-युगों से बेटियों द्वारा समाज को दिये गये योगदान को रेखांकित किया, तो डा. मीरा भारद्वाज से गोष्ठी का संचालन करते हुए ‘स्वयं मार्ग प्रशस्ता तुम, निरन्तर विजयी रहोगी’ कह कर महिला दिवस की मंगलकामनाएँ दीं।
देवेन्द्र मिश्र ने ‘डाक्टर इंजीनियर हैं महिलाएँ, कहाँ नहीं छायीं महिलाएँ”, प्रशांत कौशिक ने ‘तुम चाहती हो जितना भी जो, वह मुक्त कंठ से कह देना’, तो संस्था सचिव डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ ने ‘नारी अपने घर की किस्मत, नारी का सम्मान करो’ तो सुश्री वृंदा शर्मा ने ‘प्रतिक्षण श्रमरत्, विचरत घर-घर वह भी शोभा बाल उपवन की’ सुनाकर महिलाओं की शान में कशीदे गढ़े। एक ओर युवा कवि दिव्यांश कुमार ने ओजपूर्ण रचना ‘हो रवि का तेज दृढ़ निश्चय शंखनाद हो, ढोल हो मृदंग हो प्रहार उसके बाद हो,’ रखी तो दूसरी ओर ‘परिक्रमा’ सचिव शशिरंजन समदर्शी ने ‘ध्यान मग्न बैठे शिव शंकर, शिवगण खड़े करें फ़रियाद’ से महाशिवरात्रि के निमित्त भगवान भूतभावन को नमन किया और गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं डा. रजनी रंजना ने ‘फागुन के रंग घोलते होली के हुरियार, मौसम सतरंगी हुआ छाई सुखद बयार’ सुना कर रंगपर्व होली के आगमन की दस्तक का अहसास कराया। गोष्ठी का समापन संजय भारद्वाज के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। (दीपशिखा काव्य गोष्ठी में शामिल कविगण)
‘कभी मीरा कभी राधा बन कर प्रेम का पाठ पढ़ाएगी…बेटी ही बचाएगी’
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