नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में गंभीर रूप से बीमार पति का संरक्षक बनने की पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने कहा कि महिला अब अपने पति के मेडिकल और अन्य जरूरी फैसले ले सकती है।
क्या है मामला:
* नैनीताल की एक 35 वर्षीय महिला ने अपने 42 वर्षीय पति मुकेश जोशी, जो जून 2023 से कोमा में हैं, का संरक्षक बनने की याचिका दायर की थी।
* महिला का कहना था कि वह अपने पति के बैंक खाते का प्रबंधन करना चाहती है और अपनी बेटी का आधार कार्ड बनवाना चाहती है।
* कोर्ट ने चिकित्सा रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने क्या कहा:
* कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में संरक्षक नियुक्त करने का कोई स्पष्ट कानून नहीं है, लेकिन केरल हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया।
* कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पति की हालत में सुधार होता है या महिला अधिकार का दुरुपयोग करती है तो यह फैसला रद्द किया जा सकता है।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण:
* यह फैसला उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जिनके सदस्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
* इससे परिवार के सदस्य अपने बीमार रिश्तेदारों की देखभाल के लिए कानूनी रूप से अधिकृत हो जाएंगे।
महिला की स्थिति:
* महिला ने बताया कि उसने अपने पति के इलाज पर 35 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं और आर्थिक रूप से कमजोर है।
* महिला को समाज से आर्थिक मदद की भी जरूरत है।
अधिवक्ता का कहना:
* याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप कोठारी ने कहा कि कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है और इससे महिला को काफी राहत मिलेगी।