साकार हो रहा है भारतीय धर्म-संस्कृति व संस्कारों के प्रसार-प्रचार का स्वप्न- आदेश चौहान
हरिद्वार। “स्वामी विवेकानन्द जी का भारतीय सनातन संस्कृति तथा अध्यात्म के सार्वभौमिक प्रचार-प्रसार का कार्य, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार तथा भारत की जनता के संयुक्त प्रयासों से पूर्ण होता हुआ दिखाई दे रहा है। फिर चाहें यह अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, रूस और जर्मनी में होली, दीपावली व दशहरा तथा गीता जयंती जैसे भारतीय त्यौहारों को, धूमधाम से मनाए जाने के रूप में दिखाई देता हो अथवा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता मिलने के रूप में सामने हो। पूरी दुनिया में आज भारत की जयजयकार हो रही है।”
उपरोक्त विचार रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने विवेकानन्द विचार मंच द्वारा स्वामी विवेकानन्द की 161वीं जयंती के अवसर पर शिवालिक नगर स्थित फ्लोरा होटल के सभागार में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि, “भारत और भारतीय धर्म-संस्कृति को लेकर पूरी दुनिया का दृष्टिकोण आज बदल रहा है। धर्म, संस्कृति व संस्कारों को आगे बढ़ाने में देश के युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है और उन्हें इस कार्य में आगे आना चाहिए। विवेकानन्द विचार मंच के अध्यक्ष श्री अविनाश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का आरम्भ स्वामी विवेकानन्द, माँ सरस्वती तथा माँ भारती के चित्रों के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन तथा पुष्पांजलि तथा श्री हरीश जी के स्वागत सम्बोधन के साथ हुआ, जबकि, समापन संस्था महासचिव श्री जे.सी. क्वात्रा जी के नेतृत्व में सम्पन्न हुई ‘विश्व प्रार्थना’ के साथ हुआ।
कार्यक्रम के दौरान, अनेक प्रबुद्ध वक्ताओं ने स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। बलवीर तलवार जी ने एक दृष्टांत के माध्यम से आपसी सहयोग व मेलजोल की आवश्यकता पर बल दिया। शहज़ार होम के संचालक महाराज कृष्ण रैना ने समाजोत्थान में हर व्यक्ति की भूमिका व क्षमता को रेखांकित किया। सुभाष चाँदना ने विवेकानन्द जी की स्वीकार्यता को पूरे देश में स्थापित करने में महादेव गोविन्द रानाडे सहित अनेक राष्ट्रीय महानुभावों के योगदान का जिक्र किया।
कवि, साहित्यकार तथा चेतना पथ के संपादक अरुण कुमार पाठक ने स्वामी विवेकानन्द जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को समाहित करती हुई काव्य रचना “विश्व के नाथ का बेटा, वह भुवनेश्वरी दुलारा था, नरेन्दर नाम था उसका, चमकता वो सितारा था” प्रस्तुत की। कवियत्री तथा प्रेरक वक्ता श्रीमती कंचन प्रभा गौतम ने स्वामी विवेकानन्द जी की ऐतिहासिक शिकागो यात्रा को सम्भव बनाने के किये हुई आर्थिक व्यवस्था तथा उसके व्यवस्थापकों के योगदान पर प्रकाश डाला। श्रीमती शारदा गुप्ता ने सामाजिक क्षेत्र में व्यक्तिगत योगदान करने हेतु सबको अपने-अपने क्षेत्रों में कार्य करने हेतु प्रेरित किया। अमरीक सिंह भट्टी जी ने लोगों से स्वामी जी के ‘नर सेवा-नारायण सेवा’ के विचारों को कार्यरूप में बदलने का आग्रह किया।
इसी दौरान संजय पंवार को संस्था की ओर से जरूरतमंदों में वितरित की जाने वाली खिचड़ी का एक पैकेट सांकेतिक रूप से सौंपा गया। संरक्षक प्रदीप शर्मा जी ने सद्भावना तथा धन्यवाद प्रस्ताव किया।