संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले तेज : प्रशांत भूषण
देहरादून। जहां एक ओर सरकार के इन्वेस्टर मीट के नाम पर प्रधान मंत्री व मुख्य मंत्री सारे सरकारी तामझाम में जनता के करोंड़ोँ रुपये खर्च करके अपनी भव्यता का प्रदर्शन और उत्तराखंड के विकास के नाम पर जनता को उल्लू बना कर यहां की प्राकृतिक सम्पदा को अदाणी ग्रुप व अन्य पूंजीपतियों के हाथों लुटाने के सुनियोजित षड्यंत्र मे लगे थे वहीं सारे शहर के रास्तों की बन्दी के बाबजूद उत्तराखंड के कोने कोने से भारी संख्या
मे उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व जन पक्षधर बुद्धिजीवी व जागरूक युवा व महिलाएं जुटे , टाऊन हाल देहरा दून मे आयोजित ” जीतेगा भारत हारेगी नफरत ” राज्य स्तरीय सम्मेलन में।
सम्मेलन मे मुख्य अथिति के रूप मे प्रतिभाग करते हुए अपने सम्बोधन में,
सुप्रीम कोर्ट के सुप्रसिद्ध वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने कहा है कि मौजूदा दौर में संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले तेज हो गये हैं। इस तरह के हमलों की चपेट में हमारी सभ्यता भी है। इन हमलों से जो तबाही होगी, उसका दंश हम सभी को झेलना होगा। उन्होंने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं, हमें अपनी लड़ाई वहीं से शुरू करनी होगी।
देहरादून नगर निगम ऑडिटोरियम में इस सम्मेलन के आयोजन मे राज्यभर के 30 से अधिक सामाजिक संगठनों के साथ ही साथ ‘भारत जोड़ो अभियान ‘ और ‘ जीतेगा इंडिया बनेगा भारत अभियान की भी भागीदारी रही । इस राज्य सम्मेलन में जन संगठनों की ओर से सर्वसम्मत “जनता का घोषणा पत्र” भी जारी किया गया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा सरकार लगभग हर संवैधानिक संस्था को कमजोर करने में जुटी हुई है। इनमें न्यायपालिका भी शामिल है और चुनाव आयोग भी। कैग पर भी सरकारी दबाव है तो अन्य उन सभी संस्थाओं पर भी जिन्हें सरकारी नियंत्रण से बाहर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इन संस्थाओं को अपनी तरह से चला रही है। ईवीएम के बारे में उन्होंने कहा कि ईवीएम पर लगातार शक जताया जा रहा है। हालांकि ईवीएम में किसी तरह की किस सीमा तक कोई गड़बड़ी की जा सकती है या की जाती है यह स्पष्ट नहीं है,लेकिन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि लोगों का शक दूर किया जाना चाहिये।
प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। विरोध की आवाज आंदोलनों की तरफ से आये या विपक्ष से, पत्रकारों की तरफ से आये या स्वतंत्र चिन्तकों की तरफ से, उसे दबाया जाना सरासर गलत है । उन्होने कहा कि यह अत्यंत चिंता की बात है कि विरोध के स्वर को दबाने के लिये ऐसे लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल में भेजा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर सबसे ज्यादा उम्मीद होती है, लेकिन हाल के वर्षों में न्यायपालिका के द्वारा भी तथ्यों को नजर अंदाज कर कई महत्वपूर्ण फैसले सरकार के पक्ष में दिये जाते रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं। इन किरणों को पकड़कर यदि हम एकजुट हो कर अपनी लड़ाई शुरू करें तो संविधान को बचाया जा सकता है। हमें सभी स्वतंत्र आवाजों को एकजुट करना होगा। मुख्य धारा का मीडिया बेशक सरकार के पक्ष में हो, लेकिन आज निष्पक्ष वैकल्पिक मीडिया तैयार हो गया है, जो मुख्य धारा की मीडिया से ज्यादा मजबूत हो चुका है। सैकड़ों संगठन हैं, जो इस संविधान बचाने की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। हम सभी को एकजुट होना होगा। सोशल मीडिया नेटवर्क को मजबूत बनाना है। ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क कर उन्हें मौजूदा खतरों के प्रति आगाह करना होगा।
सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने कर्नाटक चुनाव के बारे में अपने अनुभव बताये। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में सैकड़ों संगठन एकजुट हुए। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पहुंच बनाई, लगातार लोगों से संपर्क बढ़ाया। मतदाता सूची पर नजर रखी और अपनी तरफ के जिन लोगों के नाम सूची से हटा दिये गये थे, उन्हें सूची में दर्ज करवाया। पार्टी के हटकर इन संगठनों ने नफ़रत के खिलाफ चुनाव प्रचार भी किया। इसके साथ ही चुनाव से पहले और चुनाव के बाद अपने स्तर से भी बूथ मैनेजमेंट पर ध्यान दिया। नतीजा यह रहा कि कर्नाटक में तमाम प्रयासों के बाद भी साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों को ध्वस्त किया गया और ऐसा करने वालों को हार का सामना करना पड़ा। डॉ. चोपड़ा ने आगाह किया कि यदि फिर से केंद्र में साम्प्रदायिक सोच वाली सरकार आती है तो संविधान को तक बदलना तय है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास वैकल्पिक संविधान तैयार है। तीसरी बार सत्ता में आते ही वे विरोध की आवाजों की चिन्ता किये बिना संविधान को बदल देंगे।
राज्य सम्मेलन में सामाजिक संगठनों की ओर से जनता का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। इस जन घोषणा पत्र जिसे सभी संगठनों की सर्व सम्मति से तैयार किया गया , उसे अजय जोशी ने पढ़ कर सुनाया। इस घोषणा पत्र में चुनाव प्रणाली में सुधार, आर्थिक समानता, प्रत्येक परिवार को घर, भू-बंदोबस्त, भू-कानून, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, बढ़ती बेरोजगारी, पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार, महिला अपराध, उनकी समस्याओं , नशा , गैरसैंण राजधानी जैसे विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है। इस घोषणा पत्र में आम राय लेने के बाद सम्मेलन के दूसरे सत्र मे राज्य मे सक्रीय सभी प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ इस पर चर्चा की गई । सभी दलों के प्रमुख नेतृत्व के द्वारा घोषणा पत्र पर सहमति दी गई। कांग्रेस की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष के बाहर होने से उनके द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप मे गरिमा दौसानी जी को भेजा गया था सपा की ओर से डॉ. एस एन सचान, सीपीआई की ओर से समर भंडारी, सीपीएम की ओर से सुरेन्द्र सिंह सजवाण, सीपीआई एमएल की ओर से इंद्रेश मैखुरी ने घोषणा पत्र पर सहमति दी।
सम्मेलन की शुरुआत सतीश धौलाखंडी, त्रिलोचन भट्ट, हिमांशु चौहान, नितिन मलेठा के जनगीत के साथ हुई।
इससे पूर्व सम्मेलन की शुरुवात करते हुए कमला पंत ने सम्मेलन के उद्देश्य को स्पष्ट किया । उन्होने कहा कि देश की आजादी के बाद हम भारत के लोगों ने संविधान बना कर उसके जरिये देश को एक समानता और आपसी भाईचारे जैसे इंसानियत के मूल्यों पर आधारित एक संप्रभु , पंथ निरपेक्ष समाजवादी लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने का सकल्प लिया । यही सारे मूल्य संविधान की आत्मा है । इधर कुछ समय से जिस तरह से निहित राजनैतिक / व्यक्तिगत स्वार्थी तत्व लोगों की भावनाओं को भड़का करके समाज मे नफ़रत का माहौल पैदा कर रहे है उसके खिलाफ सभी को एकजुट करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है । उन्होँने उत्तराखंड की विभिन्न ज्वलंत समस्याओं को भी सामने रखा और पूरे उत्तराखंड के हर कोने कोने तक समाज मे नफ़रत और नफ़रत की राजनीति के खिलाफ एकजुट होकर व्यापक रूप से जन मानसिकता को विकसित करने का सभी से आह्वान किया ।
कार्यक्रम का संचालन श्रम योग के श्री अजय जोशी ने किया।
सर्व श्री योगेन्द्र यादव, राजमोहन गांधी और प्रो. आनन्द कुमार ने सम्मेलन के लिए अपने वीडियो संदेश भेजे थे।
गिर्दा की कविताओं के वीडियो भी सम्मेलन में आकर्षण बने रहे।
सम्मेलन में मसीह समाज उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध नेतृत्वकारी पास्टर श्री चौहान व उनके अन्य साथी उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष श्री इस्लाम हुसैन , श्री खुर्शीद एवं अन्य मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध जन , सरदार परम जीत कक्कड व अन्य सिख समाज के प्रबुद्ध जन के अलावा देहरादून व उत्तराखंड के अन्य विभिन्न जिलों से पहुंचे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या मे महिला व युवा नेतृत्वकारीयों ने इस सम्मेलन मे भाग लिया । प्रतिभाग करने वाले नेतृत्व कारियों मे प्रमुख रूप से राजीव लोचन शाह , अरण्य रंजन समून , अतुलसती एन एस पवार , उमा भट्ट, शिवानी पान्डे, निर्मला बिष्ट, इन्दु नौडियाल ,बीजू नेगी, पूरन बर्थवाल, हिमांशु चौहान, नीतिन मलेथा गीता गैरोला, दीपा कौशलम, दिनेश जुयाल, प्रकाश रावत, नीलेश राठी, जीत सनवाल, जयकृत कंडवाल, जगदीश कुकरेती, रजिया बेग, नसीमा, आरिफ खान, आकाश भारती, बॉबी पंवार, सचिन थपलियाल, गजेन्द्र बहुगुणा, पद्मा गुप्ता, जान्हवी तिवारी, जितेन्द्र भारती, अंबुज शर्मा, अजय शर्मा, केशवानन्द तिवारी, मौलाना मो.आरिफ, मीर हसन, पास्टर जसविन्दर, प्रेम बहुखंडी, नाहिद, विजय भट्ट, त्रिलोक सजवाण, शंभु प्रसाद मंमगाईं, राकेश अग्रवाल, अनंत आकाश, तुषार रावत , सुशील सैनी, विजय नेथानी , विमला कोली , हेमलता नेगी, सीमा नेगी, कपूर रावत, उमाशंकर बिष्ट सहित 500 से अधिक लोगों ने इस सम्मेलन मे भाग लिया ।