चमोली। हम सभी जिन माता जगदम्बा की आराधना कर रहे हैं वे मात्र जड़ प्रकृति ही नहीं, चैतन्यस्वरूपा हैं। सभी प्राणियों में जो चैतन्य है वह अहम् अर्थात् मैं के रूप में उद्भासित हो रहा है। मैं के रूप में जो सब प्राणियों के हृदय में स्थित है वह क्षेत्रज्ञ ही चैतन्यस्वरूप है। इसी क्षेत्रज्ञ को माता कहा जा रहा है। वही चैतन्य शक्ति जगदम्बा भगवती बदरिकाश्रम में उर्वशी देवी के रूप में पूजी जाती हैं , देवी भागवत के अनुसार देश के अलग अलग भाग में स्थित १०८शक्तिपीठ में से एक बदरिकाश्रम की आराध्या हैं भगवती उर्वशी देवी । नवरात्र के पावन पर्व में यहां देवी की आराधना माता उर्वशी की पूजा के साथ की जाती है ।
उक्त उद्गार ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 ने अपने दशहरा सन्देश के रूप में बदरीनाथ धाम से अपने शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी के माध्यम से सभी सनातनियों को प्रेषित किया ।
उन्होंने कहा कि वास्तव में जो परमात्मा है वह न तो पुल्लिंग है, न स्त्रीलिंग है और न ही नपुंसक लिंग है। अपनी-अपनी भावना के अनुसार जिस रूप में हम उनको देखना चाहें देख सकते हैं। दुर्गा सप्तशती में कहा है जो सब प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं उनको हम नमस्कार करते हैं। उन्हीं माता ने नव दुर्गा के रुप में स्वयं को भक्तों के उद्धार के लिए समय-समय पर प्रकट किया ।
आज की सहस्र सुवासिनी पूजा में मुख्यरूप से उपस्थित रहे सर्वश्री बी डी सिंह जी ,बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी और वर्तमान में सलाहकार – मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार , माणा गांव प्रधान पीताम्बर सिंह मोल्फा जी, शिवानन्द उनियाल जी, पवन मिश्र जी, अरुण ओझा, विक्रम फर्स्वाण, धर्मेन्द्र नेगी, सारिका चौहान आदि अनेको भक्त उपस्थित रहे ।