हल्द्वानी: हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक मकर संक्रांति आज पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भी इस पर्व को विशेष उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यहां इस पर्व को कुमाऊं में उत्तरायणी और घुघुतिया त्योहार के नाम से जाना जाता है, जबकि गढ़वाल में इसे खिचड़ी सक्रांति कहा जाता है।
कुमाऊं में घुघुतिया का महत्व:
कुमाऊं में इस दिन आटे की घुघुत, खजूर आदि बनाए जाते हैं और बच्चों द्वारा कौवों को बुलाकर उन्हें घुघुत खिलाने की परंपरा है। इस दौरान बच्चे ‘काले कौवा काले, घुघती माला खाले’ जैसे गीत गाते हैं।
ज्योतिषीय महत्व:
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 14 जनवरी को सुबह 8:25 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य या शनि की दशा खराब चल रही है, वे इस संक्रांति पर विशेष पूजा-अर्चना कर लाभ उठा सकते हैं।
धार्मिक महत्व:
पंडित तिलक कांडपाल का कहना है कि इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, सूर्य उपासना और दान का विशेष महत्व है। कुमाऊं के हर घर में घुघुत बनाए जाते हैं और अगली सुबह को कौवों को दिए जाते हैं।