महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध तथा निवारण विषय पर सेमिनार
चंपावत। डॉ आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल द्वारा विभिन्न विषयों के संबंध में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध तथा निवारण) विषय पर जिला सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में प्रशासनिक अकादमी नैनीताल से आई विशेष कार्याधिकारी डॉ मंजू ढोडियाल एवं उप निदेशक पूनम पाठक ने कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने अवगत कराया कि यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता है। यह कानून यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को चिह्नित करता है। यह बताता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में शिकायत किस प्रकार की जा सकती है। यौन उत्पीड़न क्या है, शिकायत किसे कर सकते हैं। प्रतिभागियों के मन में उठे सवालों और जिज्ञासाओं को दूर किया। उन्होंने बताया कि यह क़ानून हर उस महिला के लिए बना है जिसका किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ हो। इस क़ानून में यह ज़रूरी नहीं है कि जिस कार्यस्थल पर महिला का उत्पीड़न हुआ है, वह वहां नौकरी करती हो। कार्यस्थल
कोई भी कार्यालय/दफ्तर आदि हो सकता है, चाहे वह निजी संस्थान हो या सरकारी। हर वह स्थान कार्यस्थल होता है जहां महिला के साथ उत्पीड़न हुआ हो। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम 2013 में प्रभाव में आया था।
जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है। यौन उत्पीड़न की प्रकृति केवल शारीरिक उत्पीड़न ही नहीं बल्कि महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध छूना या छूने की कोशिश करना,
बातचीत से, लिखकर आदि भी इसकी प्रकृति होती है। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिक विक्षिप्त लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिकतर उत्पीड़न की शिकार हुई महिला सामने नहीं आती है, चुप्पी साधे रहती है। इसलिए आवश्यक है कि सबसे पहले महिला को इसके प्रति जागरूक होना होगा।
उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहा विकृत मानसिकता वाले लोग अपराध करने के बारे में सोचने से भी डरे। इस अवसर पर मुख्य अथिति जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध निवारण हेतु जिले के सभी विभागों में एक आंतरिक परिवाद समिति बनी हुई है। जिसकी मॉनिटरिंग समय समय पर की जाती है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति एक अच्छी सोच व सम्मान सभी रखना आवश्यक है प्रत्येक कार्यक्षेत्र में कानून का पालन नितांत आवश्यक है। सभी लोग सजग रहकर अन्य को भी जागरूक करें। जिलाधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी
को निर्देश दिए कि सभी विभागों से समन्वय कर इस प्रकार के संवेदीकरण कार्यक्रम समय समय पर आयोजित करें।
कार्यक्रम में विभिन्न महिला जागरूकता आदि से संबंधित लघु फिल्मों को भी प्रसारित कर जानकारी दी गई। कार्यक्रम में एपीडी विमी जोशी, जिला विकास।अधिकारी एसके पंत, परियोजना अधिकारी उरेडा चांदनी बंसल, कोषाधिकारी एकता पंजवानी जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र बिष्ट समेत विभिन्न विभागों के
प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।