कमल जगाती
नैनीताल- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने न्यायालय में उपस्थित पी.सी.सी.एफ.विनोद सिंघल को फटकार लगाते हुए डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज देने वाले डी.एफ.ओ./उच्चाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने उन्हें पुनः व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है।
उत्तराखंड वन क्षेत्राधिकारी संघ की याचिका पर आज खंडपीठ में सुनवाई हुई जहां पी.सी.सी.एफ.चीफ विनोद सिंघल को कड़ी फटकार लगते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने को कहा गया है।
संघ की ओर से दिसंबर माह में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज दिया जा रहा है और रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है। इस मामले में पूर्व में उच्च न्यायालय की खंडपीठ पहले ही कह चुकी है कि डिप्टी रेंजरों को रेंज का चार्ज नहीं दिया जा सकता और रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए। लेकिन वन विभाग ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। जवाब देने का समय मिलने के बावजूद, जब विभाग ने जवाब नहीं दिया तो न्यायालय ने पी.सी.सी.एफ.विनोद सिंघल को व्यक्तिगत पेशी के लिए न्यायालय में बुलाया था।
आज न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए विनोद सिंघल ने कहा की दो डिप्टी रेंजर अभी भी रेंज का चार्ज संभाले बैठे हैं। उन्होंने अपने शपथपत्र में कहा कि एक को चार्ज माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में दिया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से न्यायालय का वह आदेश दिखाया गया, जिसमें यह स्पष्ट था कि उच्च न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि उस डिप्टी रेंजर को रेंज का चार्ज दिया जाए। इसपर, विनोद सिंघल ने भी अपनी गलती मानी और न्यायालय से माफी मांगी। खंडपीठ ने जब विभागाध्यक्ष से पूछा की उन्होंने उन अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की तो उन्होंने उन्होंने बताया कि वह 2017 से पी.सी.सी.एफ.नही बल्कि 2022 में बने हैं। इस पर नाराजगी जताते हुए खंडपीठ ने कहा कि जब वह अब विभागाध्यक्ष के पद पर हैं तो उन्हें न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
इस मामले पर एक गंभीर शपथपत्र दाखिल करने की नसीहत न्यायालय ने पी.सी.सी.एफ.विनोद सिंघल को दी और यह भी कहा कि वह न्यायालय के साथ लुका छिपी का खेल न करें। उनको पुनः व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाते हुए मामले को 26 अप्रैल के लिए तय किया गया है।