विश्व हृदय दिवस के शुभ अवसर पर, ऋषिकेश एम्स ने एक ऐसी पहल की है जो देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ सकती है। एम्स ने उत्तराखंड के दुर्गम चंबा ब्लॉक में ड्रोन के माध्यम से रक्तचाप और मधुमेह की दवाएं पहुंचाई हैं। यह पहल उन हजारों लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं और उन्हें समय पर दवाएं नहीं मिल पाती थीं।
कैसे हुई ये सफलता?
* ड्रोन की अहम भूमिका: ऋषिकेश एम्स के हेलीपैड से 10 किलोग्राम दवाओं का एक पेलोड ड्रोन के माध्यम से चंबा भेजा गया। 5,600 फीट की ऊंचाई और 33 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद, ड्रोन ने मात्र 30 मिनट में दवाएं चंबा पहुंचा दीं।
* दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच: ड्रोन ने उन क्षेत्रों में दवाएं पहुंचाईं जहां सड़क मार्ग से पहुंचना बेहद मुश्किल होता है।
* स्वास्थ्य विभाग का सहयोग: ड्रोन द्वारा लाए गए दवाओं को स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों तक पहुंचाया।
क्या कहा एम्स के अधिकारियों ने?
* एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि विषम परिस्थितियों में चिकित्सा रेस्क्यू में ड्रोन काफी मददगार साबित हो रहे हैं। चंबा जैसी दुर्गम जगह पर दवाई पहुंचाना एक बड़ी उपलब्धि है।
* सीएफएम विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में कई मौतों का कारण दवाओं का समय पर नहीं मिलना होता है। ड्रोन इस समस्या का समाधान हो सकते हैं।
इस पहल का महत्व
* दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा: यह पहल दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
* समय की बचत: ड्रोन के माध्यम से दवाएं पहुंचाने से समय की काफी बचत होती है।
* जीवन रक्षा: कई बार दवाओं की कमी के कारण लोगों की जान चली जाती है। ड्रोन इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद कर सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
एम्स के अधिकारियों का मानना है कि भविष्य में ड्रोन का उपयोग और बढ़ेगा। ड्रोन का उपयोग न केवल दवाओं को पहुंचाने के लिए बल्कि अन्य चिकित्सा उपकरणों और रक्त को भी पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
ऋषिकेश एम्स की ड्रोन से दवा वितरण पहल: एक क्रांतिकारी कदम
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