15 राज्यों के प्रतिनिधि मिलेट की संभावनाएं और अवसर विषय पर करेंगे मंथन
देहरादून। पहाड़ों की रानी मसूरी में राज्यों के कृषि विपणन बोर्ड की राष्ट्रीय परिषद (कोसांब) के तत्वावधान में मिलेट पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज से प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 12 अप्रैल को इसका औपचारिक उद्घाटन करेंगे।
सम्मेलन में उत्तराखंड समेत 15 राज्यों के प्रतिनिधि मिलेट की संभावनाएं और अवसर विषय पर मंथन में जुटेंगे। अपने-अपने राज्योंं में मिलेट से संबंधित अनुभव साझा करेंगे। साथ ही सम्मेलन में मिलेट को प्रोत्साहन और विपणन की पुख्ता व्यवस्था बनाने के दृष्टिगत भविष्य की रणनीति भी तय की जाएगी।
कृषि मंत्री एवं कोसांब के अध्यक्ष गणेश जोशी ने कहा कि 11 से 13 अप्रैल तक होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल सहित विभिन्न राज्यों के राज्य कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष समेत अन्य अधिकारी भाग लेंगे। सम्मेलन में असम, गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर समेत 15 राज्य भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में मिलेट पर कार्य करने के लिए बेहतर मार्ग प्रशस्त करने के मद्देनजर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
सम्मेलन में भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान हैदराबाद, भारतीय चिकित्सा सयंत्र विपणन संघ, एडी पोट्र्स गु्रप के प्रतिनिधि और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। सभी प्रतिभागी मंगलवार को देर शाम को परिचयात्मक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के साथ ही विभिन्न विषयों पर विमर्श करेंगे। औपचारिक उद्घाटन 12 अप्रैल को होगा।
कैबिनेट मंत्री जोशी के अनुसार सम्मेलन में मिलेट की उपयोगिता और किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के संबंध में विस्तार से चर्चा होगी। मिलेट उपज को बढ़ावा देने के लिए राज्यों ने क्या रणनीति अपनाई है, इसकी जानकारी साझा की जाएगी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच से समूचे विश्व में मिलेट को लेकर नई अलख जगी है। प्रधानमंत्री ने मिलेट यानी मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम दिया है। इसे लेकर देशभर में उत्साह व उमंग का वातावरण है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्रदेश सरकार मिलेट मिशन शुरू कर चुकी है।
मिलेट को बढ़ावा देने के लिए मंडुवा का समर्थन मूल्य घोषित करने के साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इसका वितरण किया जा रहा है। साथ ही अन्य कई कदम भी उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को इस सम्मेलन से लाभ होगा और अन्य राज्यों की बेहतर पहल को वह यहां भी अपना सकेगा।