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नई दिल्ली

ईरान-इजरायल संघर्ष पर 12-दिवसीय सीजफायर: ट्रंप की घोषणा से मध्य पूर्व में राहत की किरण

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नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों से चले भीषण सैन्य संघर्ष के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 जून 2025 को दोनों देशों के बीच “पूर्ण और स्थायी” युद्धविराम की घोषणा की। इस ऐतिहासिक घोषणा के साथ, ट्रंप ने बताया कि इस समझौते में कतर की मध्यस्थता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

युद्धविराम की मुख्य शर्तें
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल और एक्स पर बताया कि इस सीजफायर के तहत ईरान 24 जून को 12 घंटे और इजरायल अगले 12 घंटे के लिए हमले रोकने पर सहमत हुए हैं। इसके बाद, दोनों पक्ष शांतिपूर्ण व्यवहार बनाए रखेंगे ताकि इस संघर्ष को समाप्त किया जा सके।

12 दिनों में भारी तबाही
13 जून 2025 से शुरू हुए इस संघर्ष में इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों और अन्य सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले किए, जबकि ईरान ने “ऑपरेशन ऑनेस्ट 3” के तहत इजरायल के तेल अवीव, हाइफा और यरुशलम पर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं। इस लड़ाई में ईरान में 400 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश नागरिक थे, जबकि इजरायल में 24-25 लोगों की जान गई।

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अस्पष्टता और अनिश्चितता
हालांकि ट्रंप ने इस युद्धविराम की पुष्टि की, लेकिन ईरान और इजरायल दोनों ने आधिकारिक रूप से इसका स्वागत नहीं किया है। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर इजरायल सुबह 4 बजे से हमले रोकता है, तो वे भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे, परंतु तेहरान में विस्फोटों की खबरें जारी रहीं। इस कारण स्थिति में अस्पष्टता बनी हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने इस सीजफायर को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया है। रूस, चीन और पाकिस्तान ने इजरायली हमलों की आलोचना की, जबकि अमेरिका ने इजरायल का समर्थन किया है। भारत ने “ऑपरेशन सिंधु” के तहत ईरान और इजरायल से हजारों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया है।

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दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
विश्लेषकों के अनुसार, यह सीजफायर फिलहाल एक राहत है, परंतु संघर्ष के मूल कारण जैसे ईरान का परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय तनाव के अन्य पहलुओं पर ध्यान दिए बिना शांति कायम नहीं रह सकेगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान को रूस या चीन से मदद मिलती है, तो संघर्ष फिर से भड़क सकता है।

भविष्य की दिशा
अभी के लिए सीजफायर से क्षेत्र में राहत है, लेकिन सफलता दोनों देशों के व्यवहार और वैश्विक समुदाय के सहयोग पर निर्भर करेगी। इस संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों को कूटनीतिक स्तर पर प्रयास करने होंगे ताकि मध्य पूर्व में स्थाई शांति स्थापित हो सके।


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