नई दिल्ली

भागवत के तीन बच्चों वाले परिवार पर जोर देने के बयान पर सियासी घमासान

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने देश के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भागवत ने नागपुर में कथाले कुल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की घटती जनसंख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी समाज की प्रजनन दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज लुप्त होने के कगार पर पहुंच जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कम से कम तीन बच्चों का होना आवश्यक है।
भागवत के इस बयान पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस बयान पर तंज कसते हुए सवाल किया कि क्या आरएसएस अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय प्रोत्साहन देगा। उन्होंने कहा कि क्या प्रत्येक अतिरिक्त बच्चे के जन्म पर बैंक खातों में 1,500 रुपये जमा किए जाएंगे।
कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने भी भागवत की टिप्पणी की आलोचना की और संघ परिवार के भीतर भ्रम की स्थिति का संकेत दिया। अनवर ने कहा कि जहां भाजपा नेता दावा करते हैं कि मुसलमान अपनी संख्या में अत्यधिक वृद्धि कर रहे हैं, वहीं भागवत सांस्कृतिक महत्व के कारण जनसंख्या में कमी के खिलाफ तर्क देते हैं।
विभिन्न पहलुओं पर नजर
भागवत का यह बयान कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
* जनसंख्या नीति: भारत की जनसंख्या नीति को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। भागवत का बयान इस बहस को और तेज कर सकता है।
* राजनीतिक लाभ: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भागवत का यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर दिया गया है।
* सामाजिक मुद्दे: यह बयान सामाजिक मुद्दों जैसे कि परिवार नियोजन, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
* धार्मिक पहलू: कुछ लोगों का मानना है कि भागवत का यह बयान धार्मिक पहलुओं से प्रेरित है।
विभिन्न प्रतिक्रियाएं
भागवत के बयान पर मिली प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि यह एक विवादास्पद मुद्दा है। कुछ लोग भागवत के विचारों से सहमत हैं, जबकि अन्य लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं।
आगे का रास्ता
भारत की जनसंख्या नीति एक जटिल मुद्दा है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए संबोधित किया जाना चाहिए। सरकार को इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए और एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जो देश के हित में हो।

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