नई दिल्ली: बढ़ते हुए सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। देश ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज का मानना है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और यह उन्हें चिंता, अवसाद और अकेलेपन जैसी समस्याओं से ग्रसित कर सकता है।
सोशल मीडिया का बढ़ता प्रकोप:
आजकल सोशल मीडिया का उपयोग करना आम बात हो गई है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, यू.एस. में 69% वयस्क और 81% किशोर सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। दुनियाभर में करीब 4.9 बिलियन लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं और औसत व्यक्ति हर दिन 145 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव:
सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से चिंता, अवसाद और अकेलेपन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। सोशल मीडिया पर दूसरों की तुलना में खुद को कमतर महसूस करना, साइबर बुलिंग और फोमो (फियर ऑफ मिसिंग आउट) जैसी समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती हैं।
ऑस्ट्रेलिया का कदम:
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि यह फैसला बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मनोवैज्ञानिकों का मत:
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार का यह फैसला बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में भी इस तरह के कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने माता-पिता से अपील की है कि वे अपने बच्चों को सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बचाएं और उन्हें अन्य गतिविधियों में शामिल करें।
आगे का रास्ता:
ऑस्ट्रेलिया के इस फैसले से दुनिया के अन्य देशों को भी सीख लेने की जरूरत है। भारत में भी सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार, स्कूल और माता-पिता को मिलकर बच्चों को सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग के बारे में शिक्षित करना होगा।