नैनीताल

पहले नवरात्र पर नैनीताल की माँ नयना देवी के दर्शनों के लिए भक्तों का उमड़ा सैलाब

मां के प्रति भक्तों की है अटूट आस्था, देश के 51शक्तिपीठों में शामिल नैनीताल की माँ नयना देवी मंदिर

(कमल जगाती)
नैनीताल
। देश के 51शक्तिपीठों में शामिल नैनीताल की माँ नयना देवी पर भक्तों की अटूट आस्था और आराधना के चलते देशभर के भक्तों ने दर्शन किये और राष्ट्र की सुख शांति के लिए कामना की।
उत्तराखण्ड के सुन्दर पहाड़ी स्थल नैनीताल के बारे में पुराणों में कहा गया है कि देवी पारवती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बांयी आँख यहाँ गिरी थी। पुराणों में लिखा है कि देवी पारवती के पिता दक्ष प्रजापति ने जब विशाल यज्ञ में भगवान् शिव को आमंत्रण नहीं दिया, तो इस कदम से नाराज होकर देवी पारवती यज्ञ के हवन कुण्ड में कूदकर सती हो गई । इससे दुखी भगवान शिव ने देवी पारवती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। सृष्टि का सन्तुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब सृष्टि के संरक्षक भगवान् विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव को खंड खंड कर दिया ।
इस घटना में पारवती की बांयी आँख देश के इसी हिस्से में गिरी और इस देवी का नाम ‘नयना देवी’ रखा गया। शहर को अगर आप ऊंचाई से देखेंगे तो ये आँख के आकार का नजर आता है। उस समय खंडित देवी पारवती से शरीर से गिरे हिस्सों को शक्ति पीठ का नाम दिया गया है और नयना देवी मंदिर भी देश के उन्हों 51 शक्तिपीठों में शुमार है।
पुराणों के अनुसार सरोवर नगरी नैनीताल को ऋषियों की तपोस्थली के रूप में भी जाना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि यहाँ अत्रि, पुलस्त्य और पुलह ऋषियों ने यहाँ तपस्या करते हुए तपोबल से मानसरोवर का पानी यहाँ खींच लिया था। कालांतर में नैनीताल की खोज हुई और यहाँ के शुरुवाती में से एक निवासी मोती राम साह ने सरोवर के किनारे श्री माँ नयना देवी का मंदिर बनवाया। नवरात्रों के शुरू होते ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। ऐसे ही इक्यावन (51) शक्ति पीठों में से एक नैनीताल की नैना देवी मंदिर में भी भक्तों की सवेरे से ही भीड़ उमड़ी रही।
नैनी सरोवर से लगे नैना देवी मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने माँ की पूजा अर्चना की और सबकी खुशहाली की कामना की। शक्ति पीठ की मान्यता वाले इस मंदिर में विराजमान साक्षात माँ अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। माँ के दर्शनों के लिए यहाँ भक्त दूर दूर से माँ के दर्शनों के लिए मंदिर में पहुँचते हैं और माँ के दर्शन करते हैं। माँ भी अपने भक्तों का उद्धार करने में कहीं पीछे नहीं रहती है और उनकी मनोकामना पूरी करती है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

CWN उत्तराखंड समेत देश और दुनिया भर के नवीनतम समाचारों का डिजिटल माध्यम है। अपने विचार या समाचार प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क करें। धन्यवाद

[email protected]

संपर्क करें –

ईमेल: [email protected]

Select Language

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860

To Top
English हिन्दी