हरिद्वार
उत्तराखंड में ‘स्वतंत्रता सेनानी शहीद सम्मान यात्रा’: हरिद्वार से दून तक निकलेगी 4 दिवसीय यात्रा
राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने की उत्तराखंड में ‘स्वतंत्रता सेनानी शहीद सम्मान यात्रा’ की घोषणा। हरिद्वार में 36वें ‘राष्ट्रध्वज वंदन’ कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। पूरी खबर और यात्रा का रूट जानें।
हरिद्वार। स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति (FSUPPS) ने स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के सम्मान में एक बड़ा अभियान छेड़ा है। समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने घोषणा की है कि देश के 23 प्रांतों में निकल रही ‘स्वतंत्रता सेनानी शहीद सम्मान यात्रा’ जल्द ही उत्तराखंड पहुंचेगी। यह चार दिवसीय सम्मान यात्रा रुड़की से शुरू होकर हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी होते हुए देहरादून में समाप्त होगी।
अमर शहीद जगदीश वत्स पार्क में 36वां ‘राष्ट्रध्वज वंदन’ कार्यक्रम
इस घोषणा से पहले, हरिद्वार के अमर शहीद जगदीश वत्स पार्क, ज्वालापुर में समिति का 36वां ‘राष्ट्रध्वज वंदन’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस विशेष अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत भूषण विद्यालंकार ने ध्वजारोहण किया। शहीद जगदीश वत्स की प्रतिमा पर स्वतंत्रता सेनानी परिवार के सदस्यों, जितेंद्र रघुवंशी, जगदीश लाल पाहवा और वीरेन्द्र गहलौत सहित अन्य गणमान्य नागरिकों ने पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को नमन किया। इस दौरान आजादी के दीवानों की प्रेरणादायक जीवन गाथाएँ भी सुनाई गईं।
अमेठी के ऐतिहासिक शहीद स्थल ‘कादूनाला’ का किया जिक्र
जितेंद्र रघुवंशी ने बताया कि देशव्यापी शहीद सम्मान यात्रा गत 13 अक्टूबर को मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से शुरू हुई थी। यह 10 दिसंबर को सुबह 9 बजे अमेठी के शहीद स्थल कादूनाला, मुसाफिर खाना पहुंचेगी। उन्होंने कादूनाला के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1858 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ हुए भयंकर युद्ध में 600 से अधिक क्रांतिकारियों को मारकर उनके सिर एक कुएँ में डाल दिए गए थे। कादूनाला से लगभग 100 वाहनों का काफिला गौरीगंज पहुंचेगा, जहाँ स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों की एक विशाल जनसभा होगी। यह यात्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के बाद दूसरी सबसे बड़ी सम्मान यात्रा होगी।
स्वतंत्रता सेनानी वैद्य श्यामलाल को दी गई श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वैद्य श्यामलाल जी की 117वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उनके पुत्र वीरेन्द्र गहलौत ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दी गई यातनाओं का भावुक उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि वैद्य श्यामलाल जी ने 1930 में ज्वालापुर में अपने मित्रों के साथ मिलकर अंग्रेजों की सभा विफल की थी और चौक में तिरंगा फहराया था। उन्हें 1932 में छह माह की कठोर सजा सुनाई गई थी। इस देशभक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के सदस्यों और स्थानीय नागरिकों की भारी उपस्थिति रही। रघुवंशी ने समिति के सदस्यों को स्वच्छ हरिद्वार अभियान में सहयोगी बनने की भी प्रेरणा दी।
