हरिद्वार

संस्कार के अनुसार मिले जीवन को सद्गुरु संवारते हैं: डॉ: पण्ड्या

श्रद्धा का आरोहण का दिन है गुुरुपूर्णिमा:  शैलदीदी

हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि जीवात्मा को उनके पूर्व जन्मों के संस्कार के अनुसार मानव जीवन मिलता है, सद्गुरु से मिलने के बाद ही उस मानव जीवन का कायाकल्प होता है। सद्गुरु अपने शिष्य का समय-समय में परीक्षा लेकर शिष्य की उन्नति का द्वार खोलता है। हृदय तत्व, भाव तत्व, और बुद्धि तत्व के सक्रिय होने से ही सद्गुरु की प्राप्ति होती है।
युवाओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या शांतिकुंज में गुरुपूर्णिमा पर्व मनाने देश-विदेश से आये गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे। श्रीमद्भागवद्गीता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि श्रद्धा तत्व, संयम तत्व व श्रम तत्व का ज्ञान देकर सद्गुरु अपने का शिष्य को कायाकल्प करता है। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के रूप में एक महान सद्गुरु हमारे बीच आयें, करोड़ों लोगों को दीक्षा दी और उन्होंने उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किया। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री प्रज्ञा की प्रखरता एवं श्रद्धा से ओतप्रोत थे। यही कारण है कि लाखों करोडो शिष्य उनके कार्यों को आगे बढ़ाने में एक साथ जुटे हैं। उन्होंने प्राचीनकाल के सद्गुरुओं का उदाहरण देते हुए लोगों की श्रद्धा भावना को सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। श्रद्धासिक्त शिष्य अपने सद्गुरु से मिले सद्ज्ञान को जन जन फैलाकर सच्ची गुरुदक्षिणा देता है। उन्होंने कहा कि आज का यह महापर्व त्याग और समर्पण का है। उन्होंने अपने सद्गुरु आराध्यदेव पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया।
करुणामयी स्नेहसलिला श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि श्रद्धा का आत्म निरीक्षण, आरोहण का दिन है गुरुपूर्णिमा। मानव जीवन के तीन महत्त्व श्रेणी है माता, पिता और गुरु। ऋषि आश्वालयन, पं श्रीराम शर्मा आचार्य जैसे सामर्थ्यवान सद्गुरु सदैव अपने शिष्य का कायाकल्प करता है और सद्गुरु अपने शिष्यों को जीवन के तमाम समस्याओं के समाधान सुझाता है। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि प्राचीन काल में सद्गुुरुओं ने जिस तरह अपने शिष्यों को श्रद्धावान, ज्ञानवान बनाने के साथ चहुंमुखी विकास किया, परिणामतः उनके शिष्य राष्ट्र व संस्कृति के विकास के लिए प्राणवान, ऊर्जावान हो संकल्पित होकर समाज के विकास में जुटते थे। आज ऐसे शिष्यों की महती आवश्यकता है, जो अपनी प्रतिभा, ऊर्जा को समाज के हित में लगा सके। उन्होंने कहा कि रामकृष्ण परमंहस, मीरा आदि जैसे श्रद्धावानों के लिए भगवान स्वयं आते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते रहे।
इससे पूर्व श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने गुरुपूर्णिमा महापर्व का पर्व पूजन वैदिक पद्धति से किया। इस दौरान युगगायकों ने तुम हमारे थे दयानिधि-तुम हमारे हो गुरुदेव, स्वयं भगवान हमारे गुरु जैसे गुरुमहिमा-भक्तिगीत से सराबोर कर दिया। मुख्य कार्यक्रम का संचालन श्री श्याम बिहारी दुबे एवं श्री उदय किशोर मिश्र ने किया। सायं ब्रह्मवादिनी बहिनों द्वारा दीपमहायज्ञ सम्पन्न कराया गया।
निःशुल्क हुए विभिन्न संस्कार
गुरुपूर्णिमा के अवसर पर युगऋषि पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी के प्रतिनिधि के रूप में श्रद्धेय डॉ पण्ड्या व श्रद्धेया शैलदीदी ने हजारों साधकों को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। साथ ही पुंसवन, नामकरण, उपनयन सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये।
अश्वमेध मोबाइल एप, यूट्यूब चैनल्स आदि विमोचन
इस असवर पर श्रद्धेया शैलदीदी ने शांतिकुंज द्वारा तैयार किया गया AWGP Yajan  एक मोबाइल एप आदि का विमोचन किया। इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से मुम्बई अश्वमेध यज्ञ में आने वाले परिजन समस्त जानकारी प्राप्त कर पायेंगे और अपने आने आदि की सूचना भी व्यवस्था मण्डल को दे सकेंगे। साथ ही हिन्दी, कन्नड, मलयालम, छत्तीसगढ़ी में 15 पुस्तके तथा शांतिकुंंज वीडियो रिजनल यूट्यूब चैनल्स का विमोचन हुआ।

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देश विदेश के साधक चान्द्रायण व्रत में जुटे
गुरुपूर्णिमा से प्रारंभ हो रहे चालीस दिवसीय चान्द्रायण व्रत के लिए भारत सहित कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि देशों के कई हजार साधक जुटे। इन साधकों को श्री श्याम बिहारी दुबे एवं श्री उदय किशोर मिश्र ने साधना की विधि बताई और उन्हें साधना के सूत्रों संकल्पित कराया। पावन गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सम्पूर्ण गुरुधाम परिसर को आकर्षक रंगोली से सजाया गया था।

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