हरिद्वार
दशहरा पर ऊपरी गंगनहर बंद, हरकी पैड़ी पर घटा गंगाजल, मरम्मत व सफाई अभियान शुरू
हरिद्वार। धार्मिक नगरी हरिद्वार में दशहरे के मौके पर प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी ऊपरी गंगनहर को बंद कर दिया गया है। गंगनहर की बंदी से हरकी पैड़ी पर गंगाजल का स्तर कम हो गया है, जिससे श्रद्धालुओं को गंगा स्नान करने में कठिनाई हो रही है। गुरुवार रात गंगनहर की धारा बंद होते ही हरकी पैड़ी की स्थिति बदली-बदली नजर आई।
गुरुवार देर रात करीब 11 बजे जैसे ही गंगनहर की धारा रोकी गई, कई परिवार टॉर्च और लालटेन लेकर हरकी पैड़ी पहुंचे। बंद गंगनहर की तलहटी में जमा सिल्ट, रेत और बजरी के बीच लोगों ने धन और कीमती वस्तुओं की तलाश शुरू कर दी। स्थानीय लोग बताते हैं कि दशहरे की रात हर साल यह नजारा देखने को मिलता है। चांदनी रात में लोग मां गंगा की गोदी में छिपे सिक्कों और अन्य धातुओं को खोजने में जुट जाते हैं।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता विकास कुमार त्यागी ने बताया कि हर साल ऊपरी गंगनहर को वार्षिक मरम्मत और सफाई के लिए बंद किया जाता है। इस वर्ष गंगनहर को 2 अक्तूबर की मध्यरात्रि को बंद किया गया है, जिसे आगामी 19/20 अक्तूबर की रात को पुनः खोला जाएगा। बंदी के दौरान गंगनहर में व्यापक स्तर पर सफाई अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि गंगनहर में पड़े कपड़ों, गंदगी और सिल्ट को निकाला जाएगा। जहां भी गंगनहर के किनारे कमजोर हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा। साथ ही गंगनहर किनारे किए गए अतिक्रमण को भी रोका जाएगा। अवैध कब्जों को हटाने की कार्रवाई होगी, ताकि नहर की जमीन सुरक्षित रह सके।
अधिकारी ने कहा कि यह वार्षिक बंदी गंगनहर की सेहत और संरचना बनाए रखने के लिए जरूरी है। साफ-सफाई और मरम्मत से गंगाजल का प्रवाह और अधिक स्वच्छ और सुरक्षित रहेगा। वहीं, स्थानीय लोगों ने विभाग से मांग की है कि सफाई कार्य व्यवस्थित तरीके से किया जाए, ताकि गंदगी और कचरे का स्थायी समाधान हो सके।
हालांकि, गंगनहर की बंदी से हरकी पैड़ी पर आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। गंगाजल का स्तर कम होने से स्नान करने में कठिनाई हो रही है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था अटूट बनी हुई है और वे मां गंगा की पूजा-अर्चना में जुटे हुए हैं।
