देहरादून: प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों का मानदेय 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 30 हजार रुपये करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर के मुताबिक, अतिथि शिक्षकों का मानदेय पहले ही 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जा चुका है और इतने कम समय में फिर से मानदेय बढ़ाना संभव नहीं है।
क्यों नाराज हैं अतिथि शिक्षक?
अतिथि शिक्षक लंबे समय से अपने मानदेय में बढ़ोतरी और स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में 2015 से कार्यरत ये शिक्षक शुरुआत में प्रतिवादन के हिसाब से मानदेय पाते थे। कई वर्षों के संघर्ष के बाद 2018 में उनका मानदेय 15 हजार रुपये और 2021-22 में 25 हजार रुपये किया गया था।
अतिथि शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री दौलत जगुड़ी ने बताया कि अतिथि शिक्षकों के पदों को खाली न माने जाने का प्रस्ताव पहले ही कैबिनेट में आया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। साथ ही, अतिथि शिक्षकों की गृह जिलों में तैनाती का मामला भी लंबित है।
क्या हैं मुख्य बिंदु?
* अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव रद्द।
* वित्त विभाग ने कहा- पहले ही बढ़ोतरी हुई है, फिर से नहीं हो सकता।
* अतिथि शिक्षक लंबे समय से मानदेय और स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं।
* अतिथि शिक्षक संघ ने सरकार के फैसले का विरोध किया है।
आगे क्या होगा?
अतिथि शिक्षकों के संघ ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वे अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अतिथि शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी की जाए और उन्हें स्थायी किया जाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।