हरिद्वार। एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। उत्तर हरिद्वार के भीमगोडा क्षेत्र में स्थित प्राचीन काली मंदिर के पास रेलवे ट्रैक किनारे एक नवजात बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया। जन्म देने वाली मां ने जब मासूम को मौत के मुहाने पर छोड़ दिया, तब मां काली की कृपा से उसकी जान बच गई। मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे एक श्रद्धालु की नजर जब ट्रैक के किनारे पड़ी एक प्लास्टिक की पन्नी में लिपटे बिलखते नवजात पर पड़ी तो वह हैरान रह गया।
उस श्रद्धालु ने बिना देरी किए मासूम को गोद में उठाया और स्थानीय पुलिस को सूचना दी। हर की पैड़ी चौकी प्रभारी संजीत कंडारी तत्काल मौके पर पहुंचे और नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे ई-रिक्शा से महिला अस्पताल भिजवाया। समय रहते इलाज मिलने से नवजात की जान बचाई जा सकी और डॉक्टरों ने बताया कि अब उसकी हालत खतरे से बाहर है।
इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोग उस मां को कोस रहे हैं जिसने ममता को कलंकित करते हुए अपने ही खून को मरने के लिए छोड़ दिया। आमतौर पर बेटियों को छोड़ने की घटनाएं सामने आती थीं, लेकिन इस बार बेटे को छोड़ने का मामला सामने आना सभी को चौंका रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह देवी मां काली का चमत्कार है, जिन्होंने मासूम की रक्षा की।
इधर, जैसे ही यह खबर फैली, महिला अस्पताल में निसंतान दंपतियों का तांता लग गया। कई लोग मासूम को गोद लेने की इच्छा जताने लगे। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें बताया कि गोद लेने की प्रक्रिया एक कानूनी और व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसमें समय लगता है। कुछ दंपतियों ने इस प्रक्रिया को जानने की इच्छा जताई और भविष्य में बच्चा गोद लेने की मंशा जाहिर की।
हर की पैड़ी चौकी प्रभारी ने जानकारी दी कि इस मामले की रिपोर्ट बाल संरक्षण समिति को भेज दी गई है। अब आगे की प्रक्रिया समिति द्वारा तय की जाएगी। इस घटना ने समाज में मां की ममता और मानवीय संवेदनाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
